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संभल कर चलें, वर्ना चली जाएगी जिदगी

कोहरे की दस्तक के बीच चाहे गोरखपुर-लखनऊ हाईवे हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के खलीलाबाद-धनघटा व खलीलाबाद-मेंहदावल आदि राजकीय राजमार्ग। न तो इन मार्गों पर रिफ्लेक्टर लगे हैं और न ही गति पर नियंत्रण के लिए कोई व्यवस्था। अव्यवस्था से चालकों को इतनी छूट मिली है कि ये चाहे वाहन धीमे चलाएं या फिर तेज।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 11:11 PM (IST)
संभल कर चलें, वर्ना चली जाएगी जिदगी
संभल कर चलें, वर्ना चली जाएगी जिदगी

संतकबीर नगर : कोहरे की दस्तक के बीच चाहे गोरखपुर-लखनऊ हाईवे हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के खलीलाबाद-धनघटा व खलीलाबाद-मेंहदावल आदि राजकीय राजमार्ग। न तो इन मार्गों पर रिफ्लेक्टर लगे हैं और न ही गति पर नियंत्रण के लिए कोई व्यवस्था। अव्यवस्था से चालकों को इतनी छूट मिली है कि ये चाहे वाहन धीमे चलाएं या फिर तेज। कोई इन वाहनों के चपेट में आकर घायल होकर अपंग हो जाए या फिर मर जाए। लोगों के जिदगी की जिम्मेदारों को कोई परवाह नहीं। व्यवस्था में खोट एक-दो नहीं अपितु कई हैं, जिसके चलते हादसे में घायल होने और मौत होने वालों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। आइए जानते हैं, कहां-क्या हैं खामियां..?

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हाईवे पर इन जगहों पर रिफ्लेक्टर ही नहीं

गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर हादसे हो रहे हैं। इसके बाद भी चालकों, यात्रियों, राहगीरों की सुरक्षा के लिए कांटे, जिगिना, बूधाकलां, टेमा रहमत, भुअरिया, सरैया बाईपास पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं। यह भी हादसे की एक प्रमुख वजह है। नेशनल हाईवे अर्थारिटी आफ इंडिया(एनएचएआइ)के अधिकारी व कर्मचारी इस मामले में उदासीन बने हुए हैं।

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वाहनों के तेज गति पर नियंत्रण नहीं

देश के बड़े शहरों में वाहनों के गति पर नियंत्रण के लिए जगह-जगह बोर्ड लगे रहते हैं। वाहनों को प्रति घंटा कितनी गति से चलना है, उस बोर्ड में इसका उल्लेख रहता है। इसके अलावा जगह-जगह स्पीड मीटर लगे रहते हैं। इससे अधिक गति से वाहनों के चलने पर यातायात पुलिस कर्मी संबंधित वाहनों के चालकों पर जुर्माना लगा देते हैं, चालान काट दिया जाता है। हैरत की बात यह है कि गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है लेकिन एनएचएआइ ने इस पर अभी कोई पहल नहीं की है। इसी का परिणाम है कि हाईवे पर चालक प्रति घंटा 120 से 180 की रफ्तार में वाहन को चलाते हुए पाए जाते हैं। इससे सड़क पार करने के दरम्यान कई लोग इन तेज रफ्तार वाहनों के चपेट में आकर घायल हो जाते हैं अथवा मर जाते हैं।

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डेंजर जोन में सुरक्षा के इंतजामात शून्य

गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एनएचएआइ के अधीन आने वाले कोतवाली खलीलाबाद थानाक्षेत्र के सरैया, मगहर, मनियरा, रैना पेपर मिल, खलीलाबाद बाईपास, डीघा, मीरगंज, नेदुला, कांटे, टेमा रहमत आदि शामिल थे। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के अधीन आने वाले कोतवाली खलीलाबाद थानाक्षेत्र के पायलपार, बनकटिया, बालूशासन व बखिरा थानाक्षेत्र का नंदौर पिछले माह डेंजर जोन के रूप में शामिल हुए है। इस प्रकार अब डेंजर जोन की संख्या 14 है। एनएचएआइ व पीडब्ल्यूडी के द्वारा इन डेंजर जोन के पास सुरक्षा के ²ष्टिकोण से कोई इंतजाम नहीं किया गया है। इसलिए भी दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

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कटे हुए डिवाइडर पर आंखें मुंदे हुए एनएचएआइ के कर्मी

गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मगहर से लेकर चुरेब तक करीब एक दर्जन से अधिक जगहों पर डिवाइडर कटे हुए हैं। होटल, ढ़ाबा, दुकान वाले अपने स्वयं के लाभ के लिए इसे काटे हुए हैं ताकि ग्राहकों को उनके यहां आने में ज्यादा दूर न जाना पड़े। समय बचाने के लिए लोग इन कटे हुए डिवाइडर से एक लेन से दूसरे लेन में आते-जाते रहते हैं। इसके कारण कइयों लोगों की वाहन के चपेट में आने से जान जा चुकी है। यह सिलसिला जारी है। इसके बाद भी न तो इन कटे हुए डिवाइडर को ठीक किया गया और न ही यहां पर सुरक्षा के कोई अन्य इंतजाम ही किए गए।

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वाहन चालक से लेकर राहगीर सभी को सुरक्षित यात्रा के लिए यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने पर हादसे कम होंगे। जागरूकता के अभाव में लोग बगैर हेलमेट लगाए, सीट बेल्ट पहने नियमों को नजरअंदाज करते हैं। इससे ये हादसे के शिकार होते हैं। इसलिए इस पर संवेदनशील होना होगा।

रवीश गुप्त-डीएम

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