रेडी टू पेस्ट: अक्षय नवमी पर श्रद्धालुओं ने किया पूजन-अर्चन
संतकबीर नगर: अक्षय नवमी पर शनिवार को श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन किया। श्रद्धालुओं द्वारा पूरे परिवार
संतकबीर नगर: अक्षय नवमी पर शनिवार को श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन किया। श्रद्धालुओं द्वारा पूरे परिवार के साथ आंवला के वृक्ष भोजन बनाकर ग्रहण किया गया। परिवार में छोटे-बड़े सभी में उत्साह रहा। अधिकांश लोगों ने घर से व्यंजन पकाकर वृक्ष के नीचे बैठकर सेवन किया। पूजन करके सुख, समृद्धि व धन-धान्य, ऐश्वर्य की मंगल प्रार्थना की गई।
कार्तिक मास के अक्षय नवमी का विशेष महत्व है। इस अवसर श्रद्धालुओं ने नदियों में स्नान करके घरों में पूजन किया। आस्थावानों ने
पौराणिक कथाओं, महात्म व प्रचलित कथाएं सुनकर विधि-विधान पूर्वक पूजा की। आंवले के वृक्ष की पूजा कर कुछ स्थानों पर धागा लपेट कर फेरी भी लगाई गई। घरों में दीप जलाकर आंगन में चावल की रंगोली सजायी गयी। साथ ही भगवान की प्रतिमा रख कर समृद्धि की कामना की गई। अनेकों लोगों ने आवंला फल, मुरब्बा आदि का सेवन किया। मान्यता है कि इसदिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने से अनेक गाय दान करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। चर्चा करते हुए आचार्य गौरीशंकर शास्त्री ने बताया कि आंवला वृक्ष के मूल में विष्णु, शीर्ष पर ब्रह्मा, तन में रूद्र, शाखा में मुनिगण, टहनियों में देवता, फूलों में मरूदगण, पत्ते में वसू, फल
में समस्त प्रजातियों का वास होता है। आचार्य घनश्याम मिश्र ने बताया कि आंवला को गुणकारी माना गया है। स्वास्थ्य रक्षा में सहायक होने के साथ वृक्ष व फल का वैज्ञानिक महत्व भी है।
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रक्षा सूत्र बांध कर निरोग रहने की कामना
- पूजन-अर्चन के क्रम में लोगों ने आंवला के वृक्ष की पूजा कर परिवार के आरोग्य होने की कामना की। सुबह रोज की पूजा के बाद खासतौर से महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा करने निकली। ¨सदूर, धूप-दीप अर्पण के बाद वस्त्र के रूप में वृक्ष में महिलाओं ने रक्षा बांध कर पेड़ की जड़ में जल अर्पित कर फलाहार का भोग लगाया। वृक्ष देवता को आमंत्रित करते हुए कहीं दिन में कहीं रात में भोजन बनाया। इसमें उपले दाल, खीर, आवंले की चटनी, लिट्टी -चोखा तैयार किया। घर-परिवार, पास-पड़ोस व सगे -संबंधी, ईष्ट -मित्र के साथ पूजन व प्रसाद ग्रहण करने में समरसता का भाव दिखा। शहर के समय माता मंदिर परिसर,
श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर, हनुमान गढ़ी, रामनगर, तितौवा, गोला बाजार आदि स्थानों पर समूह में प्रसाद ग्रहण किया गया।