घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु : सुंदर कृष्ण
सभी देवता इस विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए।
संतकबीर नगर: महुली कस्बा में चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा में मंगलवार को वृंदावन से आए कथा वाचक पं. सुंदर कृष्ण शास्त्री ने कहा कि प्रभु अपने भक्त के मन में उपजे घमंड का नाश करते हैं। घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है।
उन्होंने भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि दैत्यों का राजा बलि बड़ा पराक्रमी था। सतयुग में दैत्यराज प्रहलाद के पौत्र बलि ने स्वर्ग में अधिकार कर लिया था। सभी देवता इस विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लेकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में जन्म लिया। इधर दैत्यराज बलि ने गुरु शुक्राचार्य और मुनियों के साथ दीर्घकाल तक चलने वाले यज्ञ का आयोजन किया। उसी समय वामन रूप में विराजमान भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पहुंचे। बलि से वामन भगवान ने कहा राजा मुझे दान दीजिए। बलि ने कहा मांग लीजिए। वामन ने कहा मुझे तीन पग धरती चाहिए। भगवान वामन ने अपने विराट स्वरूप से एक पग में बलि का पूरा राज्य नाप लिया। एक पैर से स्वर्ग का राज नाप लिया। बलि के पास कुछ भी नहीं बचा। तब भगवान ने कहा तीसरा पग कहां रखूं। बलि ने कहा मेरे मस्तक पर रख दीजिए। जैसे ही भगवान ने उसके ऊपर पैर रखा तो राजा बलि पाताल में चले गए। बलि को पाताल का राजा बनाते हुए भगवान ने उससे वर मांगने को कहा तो बलि ने कहा कि मैं जिस रास्ते से निकलू तो आप ही मुझे दिखाई दें। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।