महिला मनरेगा मजदूर का पैर टूटा, जिम्मेदारों ने मुंह मोड़ा
बसंती देवी ने बताया कि उनके घर अब तक प्रधान आए न ही कोई अन्य जिम्मेदार। धन नहीं होने से अब रिश्तेदारों और गांव के लोगों से कर्ज मांग रही हैं। मनरेगा की गाइडलाइन है कि कार्यस्थल पर प्राथमिक चिकित्सा का किट होना चाहिए और घायल होने पर मजदूर को तत्काल अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए।
संत कबीरनगर: मुफलिसी के दौर में पेट पालने के लिए कुछ भी करना पड़ता है। सेमरियावां ब्लाक के ग्राम पंचायत कुसमैनी में 60 वर्षीय बसंती देवी रोटी का इंतजाम करने के लिए सिर पर ईंट और मिट्टी ढोने का कार्य कर रहीं थीं। कार्यस्थल पर ही वह फिसल गईं, जिससे उनका पैर टूट गया। घटना देखकर मौजूद जिम्मेदारों ने अस्पताल पहुंचाने की बजाय घर की तरफ मुंह कर लिया। अब बेचारी बनकर वह बुजुर्ग मजदूर अपने इलाज के लिए कर्ज के सहारे रह गई हैं।
बसंती के पति की एक वर्ष पहले मौत हो गई। उनके तीन बेटे हैं। गरीबी के कारण उन्होंने भी मनरेगा के तहत बने जॉबकार्ड के आधार पर कार्य करना आरंभ कर दिया। पैर टूटने पर जिम्मेदारों की मदद नहीं मिलने से परिवार के लोग उन्हें उठाकर खलीलाबाद के एक निजी अस्पताल ले गए। यहां एक्स-रे के बाद पैर टूटने की पुष्टि हो जाने के बाद अस्थाई प्लास्टर करके आपरेशन करवाने की सलाह दी गई। बसंती देवी ने बताया कि उनके घर अब तक प्रधान आए न ही कोई अन्य जिम्मेदार। धन नहीं होने से अब रिश्तेदारों और गांव के लोगों से कर्ज मांग रही हैं। मनरेगा की गाइडलाइन है कि कार्यस्थल पर प्राथमिक चिकित्सा का किट होना चाहिए और घायल होने पर मजदूर को तत्काल अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए।
सीडीओ अतुल कुमार मिश्र ने कहा है कि मामले की जांच कराई जा रही है। मनरेगा मजदूर बसंती को सरकारी स्तर से अनुमन्य हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। लापरवाही किस स्तर से हुई, इसकी जांच करके दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।