जिम्मेदारों के संरक्षण में कराह रही मनरेगा
मेंहदावल सांथा व बेलहर ब्लाक के कई ग्राम पंचायत में हुई अनियमितता
संतकबीर नगर: लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाली मनरेगा का मेंहदावल क्षेत्र में बुरा हाल है। मनरेगा गाइडलाइन का उल्लंघन कर कार्यदायी संस्था को भुगतान किया जा रहा है। श्रम-सामग्री अनुपात ठेंगे पर रखकर परियोजना स्वीकृत करते हुए आनन-फानन में भुगतान हो रहा है। यह सब जिम्मेदारों की सरपरस्ती में हो रहा है। मनरेगा में 60 फीसद श्रम और 40 फीसद सामग्री पर खर्च करने का नियम है। मेंहदावल विकास खंड के 10 ग्राम पंचायतों में श्रम व सामग्री अनुपात का ख्याल नहीं रखा गया। परियोजनाएं धड़ाधड़ स्वीकृत होती रही तथा उनका भुगतान भी होता रहा। इसी प्रकार सांथा विकास खंड व बेलहर विकास खंड के गांवों में भी श्रम-सामग्री अनुपात का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जिससे एक रोजगारपरक योजना सामग्री आधारित योजना बनकर रह जा रही है। बीते वित्तीय वर्ष में मेंहदावल व सांथा ब्लाक में कई ग्राम पंचायतों में श्रम- सामग्री अनुपात का माखौल उड़ाकर भुगतान किया गया। नोटिस, स्पष्टीकरण व जांच तक मामला सिमटता रहा। किसी भी कार्यदायी संस्था व जिम्मेदार अधिकारियों पर श्रम-सामग्री उल्लंघन करने की कार्रवाई सामने नहीं आई। जिससे चालू वित्तीय वर्ष में भी मनरेगा योजना कराह रही है। इन ग्राम पंचायतों में टूटा श्रम- सामग्री का अनुपात
मेंहदावल ब्लाक के ग्राम पंचायत बिसौवा में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3.47 लाख श्रम तो 5.5 लाख सामग्री पर खर्च किया गया है। डुमरिया बाबू में 5.02 लाख श्रम, 22.57 लाख सामग्री, इमलीडीहा में 11.23 लाख श्रम और 11.78 लाख सामग्री, महदेवा में 7.05 लाख श्रम और 8.32 लाख सामग्री, रक्शा में 3.12 लाख श्रम तो 18.45 लाख सामग्री पर खर्च किए गए। इसी प्रकार सांथा विकास खंड में अतरीनानकार ग्राम पंचायत में 6.87 लाख श्रम और 9.59 लाख सामग्री, छिबरा में 4.46 लाख श्रम तो 13.11 लाख सामग्री, लेदवा श्रीपाल में 16.66 लाख श्रम और 21.05 लाख सामग्री, महला में 4.34 लाख श्रम तो 12.23 लाख सामग्री, निघुरी में 2.95 लाख श्रम और 6.67 लाख सामग्री, रजउर में 4.78 लाख श्रम और 10.36 लाख सामग्री पर खर्च किए गए। बेलहर विकास खंड में भी यही हाल रहा। ब्लाक के बूढ़ी बेलहर में 7.52 लाख श्रम और 14.56 लाख सामग्री, देवलसा में 6.04 लाख श्रम तो 8.85 लाख सामग्री, गजौली में 8.67 लाख श्रम तो 9.65 लाख सामग्री तथा सियाकटाई ग्राम पंचायत में 14.01 लाख श्रम तो 17.18 लाख सामग्री पर वारा-न्यारा किया गया। सीबीआइ जांच के बाद भी नहीं सुधरे हालात
सांथा ब्लाक में बीते वर्ष 2007 से 10 के बीच में हुए मनरेगा घोटाले की जांच सीबीआइ ने की। इस दौरान लाखों रुपए के घोटाले की पुष्टि हुई। कई अधिकारियों पर आरोपपत्र तैयार हुआ। कुछ लोगों ने जेल की हवा खाई तो कुछ लोग अभी भी फरार चल रहे हैं। सीबीआइ जांच के बाद कुछ समय तक तो सांथा सहित अन्य ब्लाकों में मनरेगा गाइडलाइन का पालन करने का मामला सामने आया, लेकिन समय बीतने के साथ ही दोबारा सांथा व मेंहदावल विकास खंड में मनरेगा गाइडलाइन को दरकिनार कर भुगतान करने का क्रम चलता रहा। बीते वित्तीय वर्ष व चालू वित्तीय वर्ष में सांथा विकास खंड के तीन ग्राम पंचायतों में मनरेगा घोटाले की पुष्टि हुई। जिसमें मुकदमा दर्ज हुआ तथा आरोपितों को जेल भी भेजा गया। रैधरपार ग्राम पंचायत में अनियमितता की पुष्टि के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
सांथा विकास खंड के रैधरपार ग्राम पंचायत में चालू वित्तीय वर्ष में ही पूर्व पंचायत के कार्यकाल में मनरेगा योजना में मृतकों के नाम से मजदूरी का भुगतान करने तथा परियोजना में अनियमितता बरतते हुए गबन करने का आरोप लगा था। इस मामले की जांच तत्कालीन सहायक विकास अधिकारी व तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय पांडेय ने की। जांच में आरोपों की पुष्टि हुई थी। छह महीने बीत जाने के बाद भी रैधरपार ग्राम पंचायत में हुई अनियमितता पर जिम्मेदारों ने कार्रवाई नहीं की। सभी ग्राम पंचायतों को श्रम-सामग्री अनुपात सही रखने का निर्देश दिया गया है। जिन ग्राम पंचायतों में श्रम-सामग्री के अनुपात का उल्लंघन हुआ है उसकी जांच कराई जा रही है। संबंधित कार्यदायी संस्था पर श्रम का अनुपात सही करने तक सामग्री के भुगतान पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। सुधार नहीं होने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुरेंद्र नाथ श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी।