मेंहदावल में आज भी जिदा हैं सुचेता कृपलानी की यादें
1962 में मेंहदावल क्षेत्र से विधायक बनकर बनी थीं कैबिनेट मंत्री
संतकबीर नगर: पीढ़ी भले ही बदल गई है, पर आज भी मेंहदावल क्षेत्र के लोगों में प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की यादें ताजा हैं। बुजुर्ग उनकी कर्मठता के किस्से सुनाते हैं तो युवाओं को इसलिए नाज रहता है कि उनके क्षेत्र ने प्रदेश को पहली महिला मुख्यमंत्री दिया।
स्वतंत्रता सेनानी जेबी कृपलानी की पुत्री सुचेता कृपलानी को वर्ष 1962 में तत्कालीन बस्ती जनपद के मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। उनके सामने जनसंघ से चंद्रशेखर सिंह चुनाव लड़ रहे थे। लोकतंत्र रक्षक सेनानी गिरिराज सिंह बताते हैं कि वह लोग भले ही जनसंघ का प्रचार कर रहे थे पर सुचेता कृपलानी की स्वच्छ राजनैतिक परंपरा अभी भी याद आती है। वह प्रचार के दौरान दूसरे दल के कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करती थीं। जनसंघ से लेकर अब तक भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे लक्ष्मी नायक बताते हैं कि सुचेता की राजनैतिक परंपरा सभी को साथ लेकर चलने की रही। उनका सम्मान हर दलों के कार्यकर्ता करते थे। बच्चे भी प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री का नाम पूछने पर उनका नाम लेते हैं। मेंहदावल के विकास को दी गति
सुचेता कृपलानी ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान मेंहदावल में बस स्टेशन, मेंहदावल-सांथा मार्ग, मेंहदावल-
करमैनी मार्ग आदि का निर्माण कार्य आरंभ करवाया। प्रेमचंद्र, मुरारी लाल यादव एडवोकेट, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधायक पं. लालसा प्रसाद मिश्र के भतीजे जवाहर लाल मिश्र आदि का कहना है कि उन्होंने मेंहदावल क्षेत्र के विकास को गति दी थी। ट्रांसफर नहीं विकास का प्रस्ताव लेकर आइए
मुख्यमंत्री रहने के दौरान क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले की पैरवी के लिए पहुंचने लगे तो उन्होंने अपने कमरे में बकायदा बोर्ड लगवा दिया कि ट्रांसफर की बात नहीं विकास का प्रस्ताव लेकर आने वालों से ही बात होगी। 1971 में उन्होंने पूरी संपत्ति एक ट्रस्ट को दान करके राजनीति से सन्यास लिया। एक दिसंबर 1974 को दिल का दौरान पड़ने से उनका निधन हो गया था।