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महज 18 फीसद ही रह गई लैंडलाइन उपभोक्ताओं की संख्या

सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के नेटवर्क में गड़बड़ी होने को लेकर उपभोक्ताओं का मोह भंग होने लगा है। दशा यह है कि वर्ष 2017 के पहले जिले में लैंडलाइन फोन के उपभोक्ताओं की संख्या जहां 35 सौ थी तो वहीं अब यह संख्या घटकर सिर्फ चार सौ ही रह गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 10:42 PM (IST)
महज 18 फीसद ही रह गई लैंडलाइन उपभोक्ताओं की संख्या
महज 18 फीसद ही रह गई लैंडलाइन उपभोक्ताओं की संख्या

संतकबीर नगर: सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के नेटवर्क में गड़बड़ी होने को लेकर उपभोक्ताओं का मोह भंग होने लगा है। दशा यह है कि वर्ष 2017 के पहले जिले में लैंडलाइन फोन के उपभोक्ताओं की संख्या जहां 35 सौ थी तो वहीं अब यह संख्या घटकर सिर्फ चार सौ ही रह गई है।

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तीन दशक पहले लोग घरों में लैंडलाइन फोन लगवाने को प्राथमिकता देते थे। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड के कार्यालयों पर दौड़ लगाकर कनेक्शन जोड़वाने की होड़ रहती थी। समय के साथ लैंडलाइन सेवा को लेकर लोगों के लगाव में कमी आई है। दो वर्ष पहले जहां जिले में लगभग 35 सौ लैंडलाइन फोन सक्रिय थे तो वहीं अब इसकी संख्या घटकर महज चार सौ रह गई है जो पूर्व का महज 18 फीसद है।

बीएसएनएल के खलीलाबाद कार्यालय के उपखंड अधिकारी मनोज कुमार यादव ने बताया कि मोबाइल का प्रचलन बढ़ने से लैंडलाइन सेवा पर बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल के मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या वर्ष भर में दस प्रतिशत बढ़ी है।

लैंडलाइन फोन कनेक्शनधारक रहे अर्जुन यादव,राजू भारती,अब्दुल्ला खान उमाशंकर पांडेय ,भृगुनाथ पाठक,विजय मौर्य ने कहा कि बार-बार खराबी और क्रास टाकिग को लेकर उनका मोह भंग हो रहा है। सभी ने दूर संचार विभाग के अधिकारियों को इसमें सुधार करवाने की मांग की।


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