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झूमकर बरसे बदरा, पानी-पानी हुए खेत व गांव

खलीलाबाद कस्बे के गोला बाजार-बैंक चौराहा मार्ग के दोनों तरफ पटरियों पर पानी भर गया। जरूरी सामान की खरीद के लिए लोगों को पानी में घुसकर दुकानों तक पहुंचना पड़ा। यही हाल मुखलिसपुर तिराहा खलीलाबाद-डीघा मार्ग का भी रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 10:18 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 10:18 PM (IST)
झूमकर बरसे बदरा, पानी-पानी हुए खेत व गांव

संत कबीरनगर : दो दिनों से झमाझम बारिश का सिलसिला जारी है। इससे कहीं राहत तो कहीं मुसीबत सामने आई। नगरीय क्षेत्रों में जलजमाव से समस्या सामने आई तो खेतों में किसान बारिश की बूंदों को धान की फसल के लिए अमृत बता रहे हैं। हालांकि जिन किसानों की फसल गिर गई हैं, उनके लिए बारिश मुसीबत साबित हो रही है।

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मंगलवार को छिटपुट बारिश के बाद बुधवार की सुबह से मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। पूरे दिन न तो सूर्यदेव के दर्शन हुए, न ही बारिश थमी। दिनभर आसमान में छाई काली घटाओं से अंधेरा भी छाया रहा।

खलीलाबाद कस्बे के गोला बाजार-बैंक चौराहा मार्ग के दोनों तरफ पटरियों पर पानी भर गया। जरूरी सामान की खरीद के लिए लोगों को पानी में घुसकर दुकानों तक पहुंचना पड़ा। यही हाल मुखलिसपुर तिराहा, खलीलाबाद-डीघा मार्ग का भी रहा। यहां के जूनियर हाईस्कूल परिसर, मंडी मार्ग, कोतवाली मार्ग, जिला चिकित्सालय, वन चेतना पार्क आदि में पानी भर गया। धनघटा क्षेत्र के कस्बों में भी यही हाल रहा। रामपुर के कई किसानों की फसल बारिश की वजह से खेतों में गिर गई। सुरेश, बिरन, राजेन्द्र यादव, सुरेंद्र, धनश्याम चौधरी, नाटे, विजय गुप्ता आदि किसानों ने कहा कि बाढ़ के चलते खेती पहले ही बर्बाद हो गई थी। अब बारिश में फसल खेत में गिर गई है। ऐसे में धान की बालियों में दाना पड़ना मुश्किल हो जाएगा।

सड़कों पर भरा गंदा पानी

बंजरिया-नेदुला मार्ग, डीघा, मोतीनगर, बरदहिया आदि में नालों के जाम पड़े होने से गंदा पानी उफनाकर सड़क पर आ गया। लोगों को इसके बीच से होकर शहर में जाने की मजबूरी रही। सेमरियावां प्रतिनिधि के अनुसार बाघनगर, उसरा शहीद, सेमरियावां, दुधारा कस्बे में भारी बारिश से जलजमाव होने के कारण दुकानों को बंद करना पड़ा।

अब बची धान की फसल हो जाएगी तैयार

बारिश को लेकर किसान खुश हैं। नकोले यादव, भोला यादव, श्रीराम पांडेय, प्रेमनरायण त्रिपाठी, कुलदीप समेत अन्य किसानों ने कहा कि कछार क्षेत्र की फसलें डूबने से पहले ही खत्म हो चुकी हैं। एक पखवारे से तेज धूप के कारण सिचाई करनी पड़ रही थी। सभी ने बारिश की बूंदों को धान की फसल के लिए अमृत सरीखा बताया।


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