गूंजी गुरुवाणी, कीर्तन से संगत हुई निहाल
अध्यक्ष सरदार अजीत सिंह ने कहा कि गुरु का सारा जीवन त्याग व बलिदान से परिपूर्ण है। गुरु के कार्य व बलिदान का इतिहास सदैव साक्षी रहेगा। सरदार हरिभजन सिंह ने कहा मानवता सदाचार आपसी सद्भाव भाईचारा का पालन कर निजी स्वार्थों की तिलांजलि देने वाले गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की।
संतकबीर नगर : सिक्ख धर्म के दशम गुरु गोविद सिंह की जयंती बुधवार को श्रद्धा व उल्लास पूर्वक मनाई गई। ज्ञान, भक्ति व शक्ति प्रणेता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करके उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया गया। खलीलाबाद गुरुद्वारा गुरुसिंह सभागार में प्रकाशोत्सव पर गुरुवाणी हुई। अखंड पाठ के बाद कीर्तन से संगत ने गुरु वंदन किया। गुरु का स्मरण करके उनके आदर्शों पर आत्मसात करने पर जोर दिया गया। वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु की फतह, बोले सो निहाल की गूंज रहीं।
अध्यक्ष सरदार अजीत सिंह ने कहा कि गुरु का सारा जीवन त्याग व बलिदान से परिपूर्ण है। गुरु के कार्य व बलिदान का इतिहास सदैव साक्षी रहेगा। सरदार हरिभजन सिंह ने कहा मानवता, सदाचार, आपसी सद्भाव, भाईचारा का पालन कर निजी स्वार्थों की तिलांजलि देने वाले गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की। अमृत पान कराकर पांच प्यारे को सिंह यानी सिख बनाया। ज्ञानी जोगिदर सिंह ने कहा कि मानवता के हित में गुरु ने मुगल बादशाह के क्रूरता का विरोध किया। रक्षा का वचन देकर जिम्मेदारी निर्वहन किया। धर्म की रक्षा के लिए माता-पिता, चार पुत्रों, पत्नी समेत स्वयं कुर्बानी दी। ख्याति प्राप्त गायक हरमहेंद्र पाल सिंह रोमी ने कीर्तन से निहाल किया। सरदार बीबी बलवंत कौर, राजिदर कौर, सतविदर पाल सिंह जज्जी, रवींद्र पाल सिंह, गुरुविदर कौर, मिनी आदि मौजूद रहे।
कूड़ीलाल रूंगटा सरस्वती विद्या मंदिर इंटरमीडिएट कालेज बिधियानी खलीलाबाद में झांकी सजाकर दीप जलाएं गए। बच्चों ने सवा लाख से एक लड़ाऊं तबै गोविद नाम कहाऊं गान से देश व धर्म की रक्षा करने वाले मसीहा को नमन किया। प्रधानाचार्य अनिरूद्ध सिंह ने गुरु को बहादुरी की प्रतिमूर्ति बताते हुए उनके सामाजिक, धार्मिक व साहसिक कार्यों पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में सरस्वती शिशु मंदिर पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरस्वतीपुरम में भी जयंती मनी।