खेतों को ऊसर बनाने पर खुद ही आमादा हैं किसान
किसान खेतों में डंठल जलाकर अपना खुद का नुकसान कर रहा है। यह सब वह अज्ञानता वश कर रहा है। कृषि विभाग के जानकारों की माने तो आग की लपटों में भूमि की उर्वरा शक्ति भी जल जा रही है। जिससे निकट भविष्य में खेतों के ऊसर हो जाने का खतरा बढ़ रहा है।
संतकबीर नगर : किसान खेतों में डंठल जलाकर अपना खुद का नुकसान कर रहा है। यह सब वह अज्ञानता वश कर रहा है। कृषि विभाग के जानकारों की माने तो आग की लपटों में भूमि की उर्वरा शक्ति भी जल जा रही है। जिससे निकट भविष्य में खेतों के ऊसर हो जाने का खतरा बढ़ रहा है।
रबि हो अथवा खरीफ की फसल, किसान अपने खेतों की कटाई कंबाइन से कराकर खेतों में बचे अवशेष को जलाने में जरा सी भी हिचकिचाहट नहीं दिखाता है।
----------------
जानकारों की राय
पौली ब्लाक के एडीओ कृषि जगत नारायण ने बताया कि खेतों में डंठल जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति में कमी आने की संभावना प्रबल हो जाती है। क्योंकि जमीन की ऊपरी सतह पर जीवाणु होते हैं। आग की लपटों के बीच जमीन की ऊपरी परत झुलस जाती है। जिससे मौजूद उत्पादक जीवाणु भी निष्क्रिय हो जाते हैं। यदि इस तरह के क्रियाकलाप भविष्य में निरंतर होते रहे तो जमीन का ऊसर होना तय है।
--------------
डंठल नहीं जलाने के लाभ
पौली में कृषि सहायक एवं इंचार्ज एडीओ कृषि के पद पर काम कर रहे वंश बहादुर ने बताया कि खेतों में बचे अवशेष डंठल को वैसे ही कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाए। इसके बाद जुताई कर अगली फसल लगाने में थोड़ा सा अंतराल रखा जाए तो अवशेष भी मिट्टी में मिलकर उर्वरक का काम करती है।