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इंतजाम नाकाफी, आग लगी तो खतरे में जान

जिला प्रशासन को दिल्ली की अनाज मंडी के कारखाने में आग लगने से 36 लोगों की मौत से सबक लेनी चाहिए। रविवार को खलीलाबाद शहर में पड़ताल की गई तो यहां भी आग से रोकथाम के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं मिले।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 11:17 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 06:09 AM (IST)
इंतजाम नाकाफी, आग लगी तो खतरे में जान
इंतजाम नाकाफी, आग लगी तो खतरे में जान

संतकबीर नगर : जिला प्रशासन को दिल्ली की अनाज मंडी के कारखाने में आग लगने से 36 लोगों की मौत से सबक लेनी चाहिए। रविवार को खलीलाबाद शहर में पड़ताल की गई तो यहां भी आग से रोकथाम के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं मिले।

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मुख्य बाजार, आवासीय व व्यवसायिक भवनों, दो से तीन मंजिला भवन व संकरी गलियां सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी को बयां कर रही हैं।

खलीलाबाद शहर की हृदय स्थली कहे जाने वाले गोला बाजार में पेट्रोल पंप भी है। मुख्य बाजार में कई मंजिला भवन के साथ, मार्ट, बैंक आदि होने के बाद भी यहां पर सुरक्षा के इंतजामात अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं।

वहीं गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंडस्ट्रिय एरिया में दो दर्जन से अधिक इकाईयां, कार्यालय व विद्यालय हैं। यहां आग से बचाव का सार्थक पहल नहीं किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमियों को इसके लिए अपने पास से व्यवस्था करनी पड़ी है।

यहां फायर बिग्रेड का कार्यालय भी है। जिसका सहारा रहता है। यही हाल हाईवे पर सरैया बाईपास के निकट नवीन सब्जी मंडी का है। अग्निशमन का इंतजाम न होने से लोगों को फोन कर फायर ब्रिगेड बुलानी पड़ती है। इससे दमकल के आने में देरी होने की वजह से काफी क्षति हो जाती है।

प्रमुख कार्यालयों व स्थानों को छोड़कर कुछ स्थानों पर छोटी फाइल निष्क्रिय गैस व बालू की बाल्टी भरकर औपचारिकता निभाई गई है।

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बरदहिया बाजार में मची थी अफरा-तफरी

चार माह पूर्व बरदिया बाजार कपड़ा मंडी में आग लगने से हजारों का सामान जलकर राख हुआ था। समय रहते फायर बिग्रेड कर्मी पहुंचे थे। इससे बड़ी घटना को टाला जा सका।

इससे पूर्व सड़क घर व दुकान में आग लगने से क्षति हुई थी। छह माह पूर्व बाजार में शार्ट-सर्किट से कपड़ा व जूता के दुकान में आग लगने से अफरा-तफरी मची थी।

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कलेक्ट्रेट में भी कई बार लग चुकी है आग

कलेक्ट्रेट में अब तक तीन बार आग लग चुकी है। तत्कालीन डीएम सरोज कुमार के समय शार्ट सर्किट से डीएम के चैंबर में आग लग गई थी। तुरंत आग पर काबू पाने के लिए प्रयास हुआ।

इसके बाद भी डीएम के चैंबर का पर्दा सहित अन्य सामान जल गया था। वहीं करीब छह माह पहले कलेक्ट्रेट परिसर में अचानक पेड़ धू-धूकर जलने लगे थे। तीन दमकल गाड़ियों के पहुंचने पर आग पर काबू पाया जा सका।

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इस पर सभी को सचेत होना होगा। सभी के प्रयास से घटनाओं को टाला जा सकता है। कलेक्ट्रेट, विकास भवन सहित अन्य सरकारी दफ्तरों में आग बुझाने के उपकरण लगे हैं।

रवीश गुप्त-डीएम

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