अधूरी रह गई भतीजे की बहू को देखने का सपना
बड़े भाई विनोद जायसवाल के बच्चों को ही अपना बेटा मानकर प्यार और दुलार करते थे।
फोटो एसकेटी-8
जासं, संत कबीरनगर : गांव में किसी को कोई दिक्कत हो, रात में किसी की तबियत खराब हो तो अशोक कुमार जायसवाल मदद के लिए तैयार रहते थे। इसी का परिणाम रहा कि वह दो बार बघौली ब्लाक के बीडीसी भी रहे। डेढ़ दशक पूर्व उनकी शादी गोरखपुर जिले के पीपीगंज कस्बा निवासी गीता से हुई थी। वह और उनकी पत्नी ने बड़े भाई विनोद जायसवाल के बच्चों को ही अपना बेटा मानकर प्यार और दुलार करते थे। उनके पिता द्वारिका प्रसाद मेंहदावल विकास खंड के एक विद्यालय से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। आठ वर्ष पहले उनकी मौत हो चुकी है। यह अपने भाई के बड़े पुत्र और युवा वैज्ञानिक विपिन जायसवाल की शादी जल्द करने के लिए बड़े भाई पर दबाव बना रहे थे। अशोक और गीता से कोई संतान नहीं होने से वह भाई के ही दो पुत्रों सचिन और विपिन को ही बेटा मानते थे। बुधवार को घर से बहन के यहां हालचाल जानने के साथ ही लाइसेंसी शराब की दुकान पर कारोबार देखकर जल्द लौट आने की बात कहकर वह घर से निकले थे। शायद उन्हें और किसी को यह पता नहीं था कि यह उनकी अंतिम यात्रा है। उनके निधन की सूचना मिलने पर पत्नी गीता बेसुध होकर गिर गईं। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल रहा।