भैया दूज कल, दीर्घायु का वरदान मांगेंगी बहनें
संतकबीर नगर कार्तिक कृष्ण शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को गोवर्धन पूजा व भैया दूज पर्व रविवार को परंपरागत ढंग से मनाया जाएगा। बहनें विधिविधान पूर्वक व्रत रख गोवर्धन पूजा कर यमराज से भाइयों के दीर्घायु व सुख समृद्धि का वरदान मांगेंगी।
संतकबीर नगर: कार्तिक कृष्ण शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को गोवर्धन पूजा व भैया दूज पर्व रविवार को परंपरागत ढंग से मनाया जाएगा। बहनें विधिविधान पूर्वक व्रत रख गोवर्धन पूजा कर यमराज से भाइयों के दीर्घायु व सुख, समृद्धि का वरदान मांगेंगी।
सनातन धर्म में पर्वों का विशेष महत्व है। लोक परंपरा व पौराणिकता से जुड़े होने के कारण पूरी आस्था व निष्ठा से मनाया जाता है। इस मौके पर व्रत, गोवर्धन पूजन आदि कार्यक्रम होता है। गोवर्धन बनाकर जल, दही, मोली, रोली, चावल, फूल, तेल, खीर आदि से पूजा कर बहने भाई के लंबी उम्र की कामना करती है। आचार्य गौरीशंकर शास्त्री व पं. दयाशंकर पांडेय के अनुसार व्रत रह कर गाय के गोबर से गोधन महाराज की प्रतिमा व प्रतीक चिह्न बनाकर विधिवत पूजन-अर्चन किया जाता है। साथ ही कोसिया भर कर भाईयों को खरी-खोटी सुनाया जाता है। पुन: दीया हंड़िया रख कर विभिन्न प्रकार के गीत, किस्से-कहानी व पौराणिक कथाएं कह कर गोवर्धन की पूजा की जाती है। उसके बाद जीभ दाग कर सच्चे मन से यमराज से भाइयों के दीर्घायु की कामना करती हैं। इस दिन गोवर्धन से गोबर लूटकर उसकी गोली बनाकर अनाज के ढेर में रखने की प्रथा है। मानना है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, और गोवर्धन उनके राशि की रक्षा करते रहते हैं।
चित्रांश कल करेंगे कलम-दवात की पूजा
संतकबीर नगर: कार्तिक मास की यम द्वितीया तिथि पर सोमवार को लेखन व लिपि कला के अग्रदूत कहे जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा होगी। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में खलीलाबाद में पूजा होगी। विनय प्रकाश श्रीवास्तव बमबम ने बताया मडया काली मंदिर सुबह 10 बजे से पूजा होगी। विजय श्रीवास्तव ने कहा कि स्तुति करके कलम चलाई जाएगी।
भगवान चित्रगुप्त से ही चित्रांश
ज्योतिषाचार्य डा. सुजीत श्रीवास्तव का कहा कि भगवान चित्रगुप्त लिपि के जनक हैं। कायस्थ परिवारों सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी के लेखाकार है। इनसे पूर्व कोई लिपि नहीं थी। कायस्थ की उत्पति चित्रगुप्त से हुई है। इसलिए पूजन अनिवार्य है।पुराणों के अनुसार 21 सहस्त्र पर्व की समाप्ति के बाद दिव्य पुरुष की उत्पत्ति हुई। उनका चित्र ब्रह्माजी के मानस में सुप्तावस्था में था अर्थात गुप्त था। यम ही चित्रगुप्त हैं। कलम -दवात की पूजा से चेतना का संचार होता है। यह किसी जाति विशेष का पूजन नहीं वरन कलम से जुड़े सभी लोगों के लिए श्रेष्ठ माना गया है। --------