विवादों के निस्तारण में मध्यस्थता सर्वोत्तम: जिला जज
वैकल्पिक माध्यमों से विवादों का निपटारा हो जाने से जहां आम वादकारी के समय व धन की बचत होती है तो वहीं अदालतों पर भी मुकदमों का बोझ कम होता है। मध्यस्थता प्रक्रिया में वादी-प्रतिवादी मध्यस्थ की सिफारिश को मंजूर या नामंजूर करने के लिये स्वतंत्र होते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जनपद न्यायालय में बुधवार को गांधी व शात्री जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जनपद न्यायाधीश जय शंकर मिश्र ने कही।
संतकबीरनगर : वैकल्पिक माध्यमों से विवादों का निपटारा हो जाने से जहां आम वादकारी के समय व धन की बचत होती है तो वहीं अदालतों पर भी मुकदमों का बोझ कम होता है। मध्यस्थता प्रक्रिया में वादी-प्रतिवादी मध्यस्थ की सिफारिश को मंजूर या नामंजूर करने के लिये स्वतंत्र होते हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जनपद न्यायालय में बुधवार को गांधी व शात्री जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जनपद न्यायाधीश जय शंकर मिश्र ने कही।उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्य व दायित्व का बोध होना चाहिए। साथ ही रात्रि विश्राम के पूर्व उसका मनन करना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय राजेश कुमार ने कहा कि विवादों के निस्तारण में अधिवक्ताओं की भूमिका अहम होती है।अपर जिला व सत्र न्यायाधीश जैनुद्दीन अंसारी ने कहा कि अधिकाधिक मामलों का निस्तारण मध्यस्थता के जरिये हो सकता है। प्राधिकरण के सचिव सत्य प्रकाश आर्य ने कहा कि इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष में मधुरता कायम रहती है। सिविल जज सीनियर डिवीजन सुधांशू शेखर उपाध्याय व जूनियर डिवीजन अभिषेक त्रिपाठी ने गांधी जी के विचारों को विस्तार से रखा। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता अन्जय श्रीवास्तव ने किया।