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80 करोड़ खर्च फिर भी सड़कों पर खाते हैं हिचकोले

तत्कालीन डीएम मार्कण्डेय शाही के कार्यकाल में जनपद की 1328.93 किमी गड्ढायुक्त सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए 53 करोड़ 35 लाख 95 हजार रुपये का इस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया था। इस पर शासन से 17 करोड़ 18 लाख 26 हजार रुपये आवंटित हुआ था। इसमें से लोक निर्माण के प्रांतीय खंड ने 579.50 किमी निर्माण खंड दो ने 356 किमी मंडी परिषद ने 9.70 किमी नगरपालिका परिषद खलीलाबाद ने 1.78 किमी नगर पंचायत मेंहदावल ने 1.00 किमी तथा कार्यदायी संस्था जिला पंचायत ने 11.25 किमी यानी 17.18 करोड़ रुपये खर्च करके जनपद की कुल 959.23 किमी सड़क गड्ढामुक्त करने का दावा किया गया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 06:03 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 06:03 PM (IST)
80 करोड़ खर्च फिर भी सड़कों पर खाते हैं हिचकोले
80 करोड़ खर्च फिर भी सड़कों पर खाते हैं हिचकोले

संतकबीर नगर: जनपद की गड्ढा वाली सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए 80 करोड़ रुपये खर्च हो गए। इसके बाद भी जिले की कई सड़कों पर गड्ढे नहीं भरे जा सके। गड्ढामुक्ति के खेल पर आम लोगों के साथ ही जन प्रतिनिधियों ने भी आवाज उठाई। आला अधिकारी पत्र भेजकर शासन स्तर की टीम से जांच कराने का सिर्फ दावा करते रहे। हैरत की बात यह है कि न तो कोई जांच हुई और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई।

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तत्कालीन डीएम मार्कण्डेय शाही के कार्यकाल में जनपद की 1328.93 किमी गड्ढायुक्त सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए 53 करोड़ 35 लाख 95 हजार रुपये का इस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया था। इस पर शासन से 17 करोड़ 18 लाख 26 हजार रुपये आवंटित हुआ था। इसमें से लोक निर्माण के प्रांतीय खंड ने 579.50 किमी, निर्माण खंड दो ने 356 किमी, मंडी परिषद ने 9.70 किमी, नगरपालिका परिषद खलीलाबाद ने 1.78 किमी, नगर पंचायत मेंहदावल ने 1.00 किमी तथा कार्यदायी संस्था जिला पंचायत ने 11.25 किमी यानी 17.18 करोड़ रुपये खर्च करके जनपद की कुल 959.23 किमी सड़क गड्ढामुक्त करने का दावा किया गया था। इसके कुछ माह बाद ही भाजपा के पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी ने कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में धनघटा तहसील क्षेत्र के रामजानकी मार्ग का उदाहरण पेश किया था। बगैर काम कराए गड्ढामुक्ति के नाम पर कार्यदायी संस्था निर्माण खंड दो के द्वारा 25.68 लाख रुपये हड़प लेने की बात कही थी। इस पर तत्कालीन डीएम ने पत्र भेजकर शासन स्तर की टीम से जांच कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन न तो जांच हुई और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई हुई। तत्कालीन डीएम रवीश गुप्त के कार्यकाल में भी सड़कों के गड्ढामुक्ति का खेल हुआ था। जब इस पर शिकायतें आनी शुरू हुई तो तत्कालीन डीएम ने कार्यदायी संस्थाओं द्वारा गड्ढामुक्त की गई सड़कों की जांच कराने और इसके रिपोर्ट मिलने पर आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही थी पर इस बार भी न तो जांच हुई और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई हुई। मेंहदावल-सांथा मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे एक दशक पूर्व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मेंहदावल से सांथा तक लगभग छह किमी सड़क का निर्माण हुआ था। पांच वर्ष बाद यह सड़क जगह-जगह टूटने लगी। मरम्मत के अभाव में सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इस सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे और इससे निकलने वाले धूल की दोहरी मार लोगों को झेलनी पड़ रही है। सेहुंड़ा-मथुरापुर मार्ग पैदल चलने लायक नहीं सेमरियावां ब्लाक के ग्राम पंचायत सेहुंड़ा से मथुरापुर जाने वाला संपर्क मार्ग लगभग एक दशक से गड्ढे में तब्दील है। यह सड़क पैदल चलने लायक नहीं है। इस संपर्क मार्ग की दूरी लगभग डेढ़ किमी है। इस सड़क से लोग मथुरापुर होते हुए हनुमान गंज-रुधौली जनपद बस्ती जाते हैं। हर दिन आवागमन करने वाले लोगों को दिक्कत झेलनी पड़ती है। बघुआ-नंदौर मार्ग: हर दिन परेशानी झेल रहे लोग

खलीलाबाद-मेंहदावल राजकीय मार्ग पर बघुआ से नंदौर तक आठ किलोमीटर सड़क जर्जर है। इस सड़क पर 7.84 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। बीते छह माह में इस सड़क के बड़े-बड़े गड्ढों को कई बार भरा गया। क्षेत्र के बरकत अली, सनाउल्लाह, अशोक कुमार, रामनाथ, दीनानाथ ने कहा कि मरम्मत के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है। मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इसकी वजह से सड़क बनने के कुछ माह बाद ही टूट जा रही हैं।

-------------------- विकास कार्य में वित्तीय अनियमितता कदापि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कहीं कोई गड़बड़ी मिली तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दिव्या मित्तल, डीएम


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