कोरोना की वजह से नहीं निकली राम बरात
सम्भल श्रीराम लीला आदर्श कमेटी के तत्वावधान में नगर में रामलीला का मंचन कराया जा रहा है जिसमें मंगलवार को कलाकारों द्वारा राम बरात की लीला का मंचन किया गया।
सम्भल: श्रीराम लीला आदर्श कमेटी के तत्वावधान में नगर में रामलीला का मंचन कराया जा रहा है जिसमें मंगलवार को कलाकारों द्वारा राम बरात की लीला का मंचन किया गया। पिछले वर्ष राम बरात को नगर में निकाला गया था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बारात नहीं निकाली गई। दर्शकों ने राम लीला का पूरा आनंद लिया।
नगर पालिका मैदान में रामलीला कमेटी की ओर रामलीला का आयोजन कराया जा रहा है जिसमें मंगलवार को राम बारात का मंचन किया गया। इसमें कलाकारों ने बड़े ही मार्मिक ढंग से लीला का मंचन किया।
बता दें कि प्रत्येक वर्ष राम बारात को नगर में निकाला जाता था। लोगों राम बरात का जगह-जगह स्वागत करते थे लेकिन, इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार ने जुलूस मेला आदि पर रोक लगा रखी है। इसी को लेकर मंगलवार को नगर में राम बरात नहीं निकाली जा सकी। कलाकारों ने मंच पर ही रामलीला का मंचन किया। जिसे देख दर्शक भावविभोर हो गए। तापस वेश विशेष उदासी, चौदह बरस राम वनवासी
गवां: कस्बा गवां में रामलीला मंचन के दौरान राम वनवास की लीला का आयोजन किया गया। अवधपति दशरथ ने एक बार दर्पण में देखा कि उनके बाल सफेद होने लगे हैं तब वह चितित हो उठे। उन्होंने राजपाट त्यागकर भक्तिपथ पर जाने का विचार किया। राजा दशरथ अपने सभासदों से राम का राजतिलक करने पर विचार करते हैं। अवधपति दशरथ के इस निर्णय पर गुरु वशिष्ठ सहित सभी सभासद प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। अगले ही दिन राम का राजतिलक होना है। उसकी तैयारियां चल रही हैं। यह समाचार कैकेई की दासी मंथरा को पता चलता है। वह ईष्र्यावश प्रपंच रचाना शुरू करती है। वह कैकेई को सुझाव देती है कि वह महाराज दशरथ से अपने दो वरदान मांग लें। एक वरदान में भरत को राजपाट व दूसरे में राम को चौदह वर्ष का वनवास। महाराज दशरथ जब शाम को कैकेई के भवन में जाते हैं और उनको कोप भवन में पाते हैं तो दु:ख का कारण पूछते हैं। कैकेई पहले उनसे से वचन लेकर वरदान लेती हैं। राम वनवास की मांग सुनकर अवधपति दु:खी होते हैं। वह कैकेई को अनेक प्रकार से समझाने का प्रयत्न करते हैं लेकिन वह निष्ठुर हो जाती है। महाराज दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। महामंत्री सुमंत को यह जानकारी मिलती है तो वह पूरा वृतांत रामजी को सुनाते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम, अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए वन गमन की तैयारी करते हैं। उनको अयोध्यावासी रोकने का प्रयत्न करते हैं लेकिन, वह वचन को पूरा करने पर अडिग हैं। उनके साथ सीताजी व अनुज लक्ष्मण भी वन को प्रस्थान करते हैं। उनके वन गमन पर पुरवासी व्यथित होकर उनके पीछे-पीछे चलने लगते हैं। 45 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए कराया रामायण का पाठ
पवांसा: सम्भल तहसील क्षेत्र के पवांसा गांव में पिछले 45 वर्षों से रामलीला का मंचन होता आ रहा है। मगर इस बार कोरोना वायरस के चलते रामलीला का मंचन नहीं हो सका। रामलीला की परंपरा को कायम रखने के लिए संतोषी माता मंदिर पर रोजाना शाम के समय रामायण पाठ का आयोजन किया जा रहा है। कोविड-19 के चलते पूरे भारत में केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन कर दिया गया था। वहीं, सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया और भीड़ भाड़ होने और शारीरिक दूरी का पालन नहीं होने के चलते धार्मिक कार्यक्रमों को भी बंद करना पड़ा। सम्भल तहसील क्षेत्र के पवांसा गांव में पिछले 45 वर्षों से रामलीला का मंचन किया जा रहा था लेकिन, इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते पवांसा में रामलीला का मंचन नहीं किया जा रहा है। पिछले 45 वर्षों की परंपरा को कायम रखने के लिए रामलीला कमेटी द्वारा रामायण पाठ का आयोजन कराया जा रहा है। रामलीला कमेटी द्वारा संतोषी माता मंदिर पर बनाए गए पांडाल का पंडित ने विधि विधान द्वारा पूजन कर रामायण पाठ का आयोजन कराया।