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आखिर कब तक खस्ताहाल सड़कों पर तड़पेगी जिदगी

जिले में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया है। सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनावी समर में उतार दिए हैं। दावेदारों ने भी जनसंपर्क करने के लिए बूथ से लेकर जिलास्तर तक अपनी रणनीति तैयार कर ली है। एक बार फिर जनता के वोट की ताकत से संसद के गलियारों तक पहुंचने का ख्वाब देखने वाले प्रत्याशी नए लुभावने वादों के साथ उनके बीच जाने लगे हैं। ऐसे में लाजमी है कि इन प्रत्याशियों के जनता के तीखे सवालों का सामना भी करना पड़ स

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 11:59 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 11:59 PM (IST)
आखिर कब तक खस्ताहाल सड़कों पर तड़पेगी जिदगी
आखिर कब तक खस्ताहाल सड़कों पर तड़पेगी जिदगी

सम्भल: जिले में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया है। सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनावी समर में उतार दिए हैं। दावेदारों ने भी जनसंपर्क करने के लिए बूथ से लेकर जिलास्तर तक अपनी रणनीति तैयार कर ली है। एक बार फिर जनता के वोट की ताकत से संसद के गलियारों तक पहुंचने का ख्वाब देखने वाले प्रत्याशी नए लुभावने वादों के साथ उनके बीच जाने लगे हैं। ऐसे में लाजमी है कि इन प्रत्याशियों के जनता के तीखे सवालों का सामना भी करना पड़ सकता है।

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आखिरकार जनता को इन जनप्रतिनिधियों से यह जानने का पूरा हक है कि जिला बनने के आठ साल बाद भी सम्भल विकास की रफ्तार क्यों नहीं पकड़ सका है। आज भी जिले के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यों हैं। जनता का सबसे बड़ा मुद्दा है जिले की जर्जर सड़कें। जो नेताओं के चुनावी एजेंडे में शामिल तो होती हैं लेकिन आज तक इन सड़कों पर वाहन फर्राटा भरकर नहीं चल सके हैं। जिले की इन खस्ताहाल सड़कों पर रोजाना कोई जिदगी तड़पकर अपनी जान दे रही है या फिर गंभीर रूप से घायल मौत की भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। जनवरी से अभी तक चालीस से अधिक लोग सड़क हादसों में जान गंवा चुके हैं।

हम बात करें सम्भल की भौगोलिक स्थिति और कारोबार की तो मुरादाबाद, बदायूं, अमरोहा, रामपुर व बरेली बार्डर को छूता है। यहां पर हैंडीक्राफ्ट और मैंथा का कारोबार काफी होता है। हैंडीक्राफ्ट की मेन मार्केट दिल्ली है। कारोबार के सिलसिले से आए दिन तमाम व्यापारी दिल्ली की दौड़ लगाते हैं। करीब दस साल पहले सम्भल-दिल्ली मार्ग को फोरलेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर हुआ था। उम्मीद जगी थी जहां कारोबार को बूम मिलेगा वहीं मरीजों को भी आसानी होगी। लेकिन लंबा वक्त बीतने के बाद यह मार्ग फोरलेन होना तो दूर, इसके गढ्डे भी नहीं भर सके हैं। यहीं सम्भल-बहजोई, हसनपुर, आदमपुर और सम्भल-जोया मार्ग भी पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुका है।

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क्या कहते हैं जिलेवासी

पंद्रह मिनट का सफर एक घंटे में पूरा होता है। हर दफा सड़कों की मरम्मत का वादा तो किया जाता है लेकिन हालात जस के तस हैं।

सुरेंद्र कुमार

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सड़क इस कदर खस्ताहाल हो चुकी हैं कि वाहन गढ्डों से बचने के चक्कर में आपस में टकरा जाते हैं। यही वजह है कि हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गवां रहे हैं।

जीतपाल यादव

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सम्भल-दिल्ली मार्ग दस साल से फोरलेन नहीं हो सका है। सम्भल से हसनपुर तक सड़क इनती खस्ता है कि हादसे तो होते ही हैं गाड़ियां भी खराब होकर बीच में खड़ी हो जाती है।

सनोवर जमाल

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बहजाई मुख्यालय होने के बाद भी सम्भल वे बहजोई जाने वाला मार्ग इतना खस्ताहाल है कि दोपहिया वाहन तक निकालना मुश्किल हो जाता है। नेता और अफसर कोई सुध नहीं ले रहे हैं।

इंदू आर्य


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