लॉकडाउन की वजह से जींस कारखाने में लगे ताले
लॉकडाउन की वजह से ठप हो गया जींस का काम . देश के अलग अलग राज्यों में जाती सम्भल से जींस जागरण संवाददाता सरायतरीन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से सभी कारोबार काफी प्रभावित हुए हैं। जिससे कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ है। जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। नगर में जींस की सिलाई का काम अच्छी खासी मात्रा में किया जाता है। लॉकडाउन की वजह से जींस के कारोबार को पांच करोड़ से अधिक का फटका लगा है। कारखाने खाली पड़े हैं और कारीगर अपने घरों पर खाली बैठे हैं।
सरायतरीन (सम्भल) : कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से सभी कारोबार काफी प्रभावित हुए हैं। जिससे कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ है। जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। नगर में जींस की सिलाई का काम बहुतायत में किया जाता है। लॉकडाउन की वजह से कारखाने खाली पड़े हैं और कारीगर अपने घरों पर खाली बैठे हैं।
सम्भल में तकरीबन हर गली मुहल्ले में जींस की सिलाई का काम होता है। इसमें दस हजार से अधिक लोग जींस की सिलाई का काम कराते हैं। जबकि एक हजार से अधिक छोटे बड़े कारखाने हैं। किसी कारखाने में पांच मशीनें हैं तो किसी में दस। कई कारखाने ऐसे हैं जहां पर 50 से 100 मशीनें एक साथ लगीं हैं। यहां की जींस के लिए दिल्ली, सूरत व अहमदाबाद से जींस का कपड़ा आता है और सम्भल में जींस तैयार होकर दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, सूरत व आसपास के जनपदों में जाती हैं। लॉकडाउन के चलते कारखानों में तालाबंदी हो गई। कारोबारियों और कारीगरों के हालात खराब है। कारोबारी शमीम ने बताया कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से कारोबार ठप है। अगर करेंसी फ्लो होता तो चार से पांच करोड़ का टर्नओवर तो ईद पर होता। नगर के तीन हजार से अधिक परिवार सिलाई करके गुजारा करते हैं। जींस कारोबारी मोहम्मद परवेज अंसारी बताते हैं कि शहर से दिल्ली, सूरत, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा जिलों की मंडियों को जींस की सप्लाई जाती है। कुछ माल ऐसा है जो दिल्ली से लेकर अहमदाबाद तक सम्भल के नाम से बिकता है। दिल्ली दंगे की वजह से काम प्रभावित हुआ। अब कारोबार बिल्कुल चौपट हो गया।
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कारोबारी शकील अंसारी का कहना है कि लॉक डाउन की वजह से जींस का कारोबार बिल्कुल चौपट पड़ा है जींस का कच्चा माल अधिकतर दिल्ली से आता है दिल्ली लोक डाउन में बंद है और उससे पहले दिल्ली हुए दंगे की वजह से जीन्स मार्केट पहले से ही बन्द चल रही थी।अब काम चौपट पड़ा है अब समझ में नहीं आ रहा यह काम कैसे शुरू किया जाए।
, कारीगर कदीर अहमद ने दर्द वयां करते हुए कहा कि लॉकडाउन की वजह से दो महीने से खाली पड़े हैं। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। जब कारखाना चलता था तो एक दिन में 300 से 400 रुपये की मजदूरी होती थी। अब बिल्कुल भी नहीं हो रही। हम जींस की सिलाई के अलावा कोई और कार्य नहीं कर सकते।
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कारीगर मोहम्मद उमर ने कहा कि जींस को सिलाई करने में 35 से 40 रुपये मिलते हैं। एक कारीगर एक दिन में लगभग दस जीन्स की पेंट तैयार कर लेते थे, लेकिन अब काम बिल्कुल बंद पड़ा है। रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सरकार जींस के कारोबारियों की तरफ ध्यान दें दिल्ली और सूरत की सीमाएं खोले ताकि वहां से कच्चा माल आ सके।