'हजरत मुहम्मद ने लोगों को पढ़ाया इंसानियत का पाठ'
मुफ्ती सलाउद्दीन कासमी ने बताया कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को आलम-ए-इस्लाम में ईद मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता है। इस मुबारक दिन पर मुसलमान पैगंबर हजरत मुहम्मद के बताए रास्ते पर चलने का वादा करते हैं।
सम्भल, जेएनएन: सरायतरीन के मुहल्ला बगीचा में गुरुवार को मजलिस का आयोजन किया गया। कोरोना काल को देखते हुए सरकार की गाइड लाइन के अनुसार घरों और मस्जिदों में ही ईद मिलादुन्नबी पर मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस के दौरान मुफ्ती सलाउद्दीन कासमी ने बताया कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को आलम-ए-इस्लाम में ईद मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता है। इस मुबारक दिन पर मुसलमान पैगंबर हजरत मुहम्मद के बताए रास्ते पर चलने का वादा करते हैं। उन्होंने बताया कि पैगंबर हजरत मुहम्मद ने इंसानियत को एक सूत्र में बांधकर समस्त मानव जाति को बुराई का मार्ग छोड़कर सत्य एवं नेक रास्ते पर चलने का संदेश देकर इंसानियत के लिए अपने को समर्पित कर दिया। उन्होंने मुहब्बत, आपसी भाईचारे व बराबरी के संदेश को जन जन तक पहुंचाते हुए घर व समाज में फैली कुरीतियों को खत्म किया।
मुफ्ती सलमान ने बताया कि इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने को रविउल अव्वल कहा जाता है, जिसका अर्थ है पहली बहार। इस महीने के 12वीं तारीख सन 571 ईसवी को अरब के कुरेशी खानदान में हजरत अब्दुल मुतलीब व बीबी आमना के लाल हजरत मुहम्मद इस दुनिया में तशरीफ लाए। उनके आमद से दुनिया से जुल्म का अंधेरा दूर हो गया। पैगंबर इस्लाम हजरत मुहम्मद 53 साल तक मक्का में रह कर इस्लाम को फैलाया और फिर मदीना मनोवरा चले गए। यही तारीख मजहब ए इस्लाम में खास हो गई। तब से इस्लामी हिजरी सन की शुरुआत हुई।