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गुरु पूर्णिमा पर गंगा में स्नान कर दिया दान

गवां कोरोना संक्रमण से लोग परेशान हैं। प्रशासन अनेक प्रयासों के माध्यम से लोगों को जागरूक

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 11:19 PM (IST)
गुरु पूर्णिमा पर गंगा में स्नान कर दिया दान
गुरु पूर्णिमा पर गंगा में स्नान कर दिया दान

गवां : कोरोना संक्रमण से लोग परेशान हैं। प्रशासन अनेक प्रयासों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है। ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी का पालन करना बहुत जरूरी है। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ जमा न होने पाए इसके लिए भी पुलिस दिन रात एक कर रही है। आस्था और श्रद्धा के सामने कोरोना का भय बौना नजर आ रहा है। बबराला राजघाट पर भी लोगों ने स्नान किया।

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आस्था और श्रद्धा की ताकत रजपुरा थाना क्षेत्र में हरिबाबा बांध धाम घाट पर गुरू पूर्णिमा के मौके पर दिखाई दी जब हजारों के संख्या में श्रद्धालु नियमों और कोरोना संक्रमण के भय को ताक पर रखकर गंगा स्नान को पहुंचे। भीड़भाड़ में बिना परहेज के सभी एक दूसरे से शारीरिक दूरी की परवाह किए बिना आनंदित नजर आए। तड़के सुबह से ही स्नान करने वाले बाइक और पदयात्रा से गंगा तट पर पहुंचने शुरू हो गए। हालांकि व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से चार होमगार्ड के जवान भी राहगीरों को रोकते रहे लेकिन फिर भी लोग राह बदलकर पगडंडियों से गंगा स्नान को पहुंच गए। भीड़भाड़ में मौजूद लोगों ने शारीरिक दूरी का ध्यान भी नहीं रखा। सभी आपस में घुलते मिलते रहे। ऐसे में अगर कोई कोरोना संक्रमित भी गंगा स्नान को पहुंच गया हो और उससे लोग संक्रमित हो गए तो क्षेत्र में मुसीबत बढ़ सकती है लेकिन आस्थावान स्नानार्थियों को कोरोना संक्रमण की कोई परवाह ही नहीं थी।

बांध धाम घाट कच्चा है। प्रशासन की ओर से स्नानार्थियों के लिए बैरीकेडिग की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में गंगा के जलस्तर की गहराई का अनुमान लगा पाना मुश्किल है। इस जल में युवक व बच्चे स्नान करते वक्त अठखेलियां करते हैं और अचानक से गहरे पानी मे चले जाते हैं जिससे डूबने के खतरा बना रहता है।

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सात दिन पहले हुई थी घटना

गवां : एक सप्ताह पहले ही सिसौना डांडा घाट पर पति को बचाने के चक्कर मे तीन महिलाएं अपनी जान गंवा बैठीं। पूर्व में हुए हादसों से न तो श्रद्धालुओं ने कोई सबक लिया और न ही प्रशासन ने। हादसे होने के बाद ही नियम बनाये जाते हैं और उनका अनुपालन होता है। अगर समय रहते कच्चे घाटों पर प्रशासन ने उचित व्यवस्था नहीं की तो आगे भी होने वाले हादसों को नकारा नहीं जा सकता।


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