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सरायतरीन में घरों व मस्जिदों में सादगी के साथ मनाया गया ईद मिलादुन्नबी का पर्व

सम्भल ईद मिलादुलन्नबी के अवसर पर सरायतरीन की मस्जिद ए अहले सुन्नत में मिलाद ए मुस्तफा का कार्यक्रम पूरी शानो शौकत के साथ मुनाकिद किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 12:31 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 12:31 AM (IST)
सरायतरीन में घरों व मस्जिदों में सादगी के साथ मनाया गया ईद मिलादुन्नबी का पर्व
सरायतरीन में घरों व मस्जिदों में सादगी के साथ मनाया गया ईद मिलादुन्नबी का पर्व

सम्भल: ईद मिलादुलन्नबी के अवसर पर सरायतरीन की मस्जिद ए अहले सुन्नत में मिलाद ए मुस्तफा का कार्यक्रम पूरी शानो शौकत के साथ मुनाकिद किया गया। मदरसा अहले सुन्नत नजर उलूम मस्जिद रुस्तमखान में आयोजित कार्यक्रम में मौलाना मोहम्मद आलम और हाफिज इस्तियाक ने सरकारे मदीना की पैदाइश के ताल्लुक से अपने ख्यालात का इजहार किया। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया में सरकार ने तशरीफ ला कर शांति भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम दिया। मस्जिद अहले सुन्नत शहतूत वाली में आयोजित मिलाद ए मुस्तफा में मुफ्ती महबूब आलम कादरी मिस्वाही ने सरकार की पैदाइश की मुबारकबाद पेश की और इस दिन को तमाम आलम के लिए रहमत बताया। इस मौके पर नात सलातो सलाम और दुआ के कार्यक्रम हुए। एक मीनार वाली मस्जिद मोहल्ला नखासा में मौलाना आदिल रजा मिस्वाही और मौलाना अगलब मिस्वाही ने मिलाद ए मुस्तफा में मुसलमानों से इस दिन को पूरी खुशी के साथ मनाने का आह्वान किया। घरों पर झंडे लगाने, चरागां करने और मुस्तफा का खूब जिक्र करने की अपील की। मसजिद खैरुन निशा मोहल्ला इस्लामाबाद में मौलाना जैनुल आबेदीन और मौलाना खालिद ने सरकार की सीरत और उसवा ए हसना पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया उनके आमद से दुनिया से जूल्मत का अंधेरा दूर हो गया। हजरत मोहम्मद के आमद से पहले इस दुनिया में हर तरफ जुल्म सितम की घटाएं छाई हुई थी। इंसान एक दूसरे के खून के प्यासे थे। बेटियों के जन्म लेते ही उसे जिंदा जमींदोज कर दिया जाता था। आपस में उल्फत व मुहब्बत की बू कहीं नजर नहीं आ रही थी। फिर दुश्मनी की जगह दोस्ती, नफरत की जगह मुहब्बत, इंतेकाम की जगह आपस में मेल मिलाप, रहजनी के जगह रहबरी ने ले लिया। पैगंबर इस्लाम हजरत मुहम्मद 53 साल तक मक्का मुकर्रमा में रह कर मजहबे इस्लाम को फैलाया। फिर अल्लाह पाक के हुक्म से 53 सालों के बाद मदीना मनोवरा के लिए हिजरत कर गए। हिजरत की यही तारीख मजहब ए इस्लाम में खास हो गई। तब से इस्लामी हिजरी सन् की शुरुआत हुई। शुरू हजरत मुहम्मद ने 40 साल के बाद अपने नबूअत (रिसालत) का ऐलान किया एवं 63 साल की उम्र तक आलम-ए-इंसानियत को जीने का सलीखा और उसका हक बताते हुए इस दुनिया से पर्दा कर गए। बिस्मिल्लाह मस्जिद मंगलपुरा, मस्जिद अकबरी धोबियान मस्जिद राव वाली मोहल्ला भूडा में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर महफिल ए मीलाद का आयोजन किया गया। इस मौके पर अंजुमन शाहे बरकात ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। शफीक उर रहमान, शफीक बरकाती, ताहिर सलामी, हाफिज अफजाल बरकाती, मौलाना अब्बास रजा, वामिक कमर, इम्तियाज खान, माजिद खां, अफजल कादरी, जिया उर रहमान बरकाती, हाफिज अली, जैद रजा सहित बड़ी संख्या में लोगों ने मिलाद कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भागीदारी की।

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