गेहूं की उन्नत पैदावार के लिए अपनाएं खेती के वैज्ञानिक तरीके
बहजोई देश की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है। फसल की अ
जागरण संवाददाता, बहजोई:
देश की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है। फसल की अधिक पैदावार के लिए किसान इस समय बीज से लेकर खेत की तैयारी बुवाई का समय बीजों के उन्नत किस्मों का चयन और बुवाई की विधि के अलावा खाद एवं उर्वरक को लेकर चितित रहते हैं हालांकि इसके लिए सरकार की ओर से कृषि विभाग के द्वारा पहल की जाती है, जिसमें किसानों को ब्लॉक स्तर और जिले स्तर पर गोष्ठियों का आयोजन कर उन्नत तकनीकी या फिर वैज्ञानिक विधि से की पैदावार को अधिक बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
गेहूं की बुवाई प्रत्येक वर्ष रबी के मौसम में नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसंबर तक की जाती है, इसके लिए खेतों में नमी और कोहरे को लाभदायक माना जाता है, हालांकि किसान अपने खेतों में पलेवा करते हुए पहले नमी बनाते हैं और फिर गेहूं की बुवाई करते हैं, लेकिन किसानों को वर्तमान में अधिक पैदावार के लिए खेती के आधुनिक तरीके अपनाने चाहिए। इसके लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से जागरूक भी किया जाता है। जिले में किसानों से लगातार संवाद रखने वाले और जागरूकता फैलाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ अरविद कुमार ने बताया कि जिले के किसान अपने खेतों में गेहूं की पारंपरिक खेती करते हुए पैदावार करते हैं जो कि उन्नत और वैज्ञानिक तरीकों से कम होती है अगर किसान श्री विधि या फिर सीधी लाइन में गेहूं की बुवाई करें तो इससे अधिक पैदावार की जा सकती है इसके लिए उन्हें लगातार जागरूक किया जा रहा है। कैसे करें खेत की तैयारी-
डॉ. अरविद कुमार ने बताया कि गेहूं की बुवाई से पहले अपने खेत की जुताई तीन से चार बार काफी महीन तरीके से कर ले और उस में फैले खरपतवार व फसल अपशिष्ट को भी प्रबंध तरीके से नष्ट करें। इसके बाद खेत में पर्याप्त नमी करने के लिए बुवाई से ठीक पहले पलेवा कर ले। पलेवा के तीन से चार दिन बाद खेत की जुताई करते हुए उसमें गेहूं की बुवाई करें। बुवाई श्री विधि या सीधी लाइन में करें। जिन खेतों में अधिक नमी रहती है, वहां बुवाई की जीरो टिल विधि भी अप्लाई कर सकती है। गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन करें, जिससे उनकी पैदावार अधिक हो सकती है और खेत में छोटी-छोटी क्यारियां बनाएं, जिससे सिचाई करते समय पानी एक स्थान पर एकत्रित न होकर पूरे खेत की फसल को मिले।
कम करें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बहजोई: जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र प्रताप मौर्य ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से प्रत्येक वर्ष खेत की उपजाऊ क्षमता घट जाती है इसके लिए किसान भाई जैविक खादों का समन्वित प्रयोग करें या फिर कंपोस्ट खाद के प्रयोग करने से फसल को लाभ होता है। अधिक आवश्यकता होने पर ही रासायनिक खाद का प्रयोग करें जिसे बेहद कम मात्रा में करें। गेहूं की खेती के प्रभावी बातें-- जीवांश खादों का प्रयोग अवश्य करें। शुद्ध एवं प्रमाणित बीज की बुवाई बीज शोधन के बाद ही करें। प्रजातियों का चयन स्थान समय और सुविधा विशेष के आधार पर करें। तीन वर्ष बाद बीज अवश्य बदल दें। खाद एवं उर्वरक की मात्रा मृदा परीक्षण के आधार पर सही समय पर एवं उचित विधि से प्रयोग करें। सिचाई क्रांतिक अवस्थाओं पर समय से एवं उचित मात्रा में करें। कीड़े एवं बीमारी से बचाने के लिए नियमित निगरानी करें। गेहूंसा का प्रकोप होने पर उसका नियंत्रण समय से करें। मृदा के स्वास्थ्य एवं संरचना के लिए भूमि शोधन अवश्य करें। बीज बोने से पहले बीज का जमाव परीक्षण करें। सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग भी करें। सिचाई पतली क्यारियां एवं पट्टियां बनाकर करें।