बैंगन, भिंडी एवं कद्दूवर्गीय सब्जियों पर कीट का समय पर करें प्रबंधन
गुणवत्तायुक्त शाकभाजी उत्पादन के लिए समय सामयिक महत्व के कीट का उचित समय पर प्रबंधन नितांत आवश्यक है वर्तमान में तना बेधक कीट और फल बेधक कीट द्वारा बैगन भिण्डी एवं कुकरबिट्स की फसलों को अत्यधिक क्षति पहुंचाने की संभावना होती है।
सहारनपुर, जेएनएन। गुणवत्तायुक्त शाकभाजी उत्पादन के लिए समय सामयिक महत्व के कीट का उचित समय पर प्रबंधन नितांत आवश्यक है, वर्तमान में तना बेधक कीट और फल बेधक कीट द्वारा बैगन, भिण्डी एवं कुकरबिट्स की फसलों को अत्यधिक क्षति पहुंचाने की संभावना होती है।
संयुक्त निदेशक औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र भानु प्रकाश राम ने कहा कि तना बेधक कीट बैगन, भिंडी एवं कुकरबिट्ट (कद्दू, लौकी, तरोई, करेला, टिण्डा, खीरा आदि) की फसलों में तनों में छेद कर हानि पहुंचाता है। क्षतिग्रस्त वाली जगहों पर भूरे रंग का गोंद जैसा स्त्राव निकलता है और प्रभावित गाठ के ऊपर की शाखाएं सूख जाती है। फल मक्खी फलों में डंक मार कर अण्डे देती है, जिससे सूंड़िया निकल कर फलों को सड़ा देती हैं तथा फलों का आकार टेड़ा-मेड़ा छिद्रयुक्त हो जाता है। भानु प्रकाश ने बचाव के उपाय बताते हुए कहा कि तना बेधक, फल बेधक कीट के नियंत्रण हेतु कीट से प्रभावित सूखे तने एवं फल को तोड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिए। ट्राइकोग्रामा के 2-3 कार्ड को प्रति हेक्टेयर साप्ताहिक अन्तराल पर खेत में लगाने से कीट का प्रकोप कम होता है। यही नहीं 4 प्रतिशत नीम की गिरी (40 ग्राम नीमगिरी का चूर्ण एक ली में पानी में) का घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए। फल मक्खी के प्रकोप को रोकने के लिए मैलाथियान 50 ईसी 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, अगर फल मक्खी का प्रकोप हो तो 10 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव दोहराएं। उन्होंने कहा कि मटमैले-भूरे रंग के महीन कीट जिन्हें चैक या मोयला (एफिडस) के नाम से जाना जाता है। यह पत्तियों का रस चूसकर फसल की वृद्धि एवं उत्पादन को प्रभावित करते हैं। इनके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोरपिड 200 एसएल 0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। 10 मीटर के अन्तराल पर फेरोमैन टेप-100 प्रति हेक्टेयर की दर से लगाकर वयस्क नर नष्ट कर देना चाहिए।