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आसाराम प्रकरण के गवाह कृपाल की पत्नी का दर्द ...हमारी तो दुनिया उजड़ ही गई

पीडि़ता के पक्ष में गवाही देने के कारण मारे गए कृपाल सिंह की पत्नी नीरज सिंह अभी सदमे में है। उम्रकैद की सजा की जानकारी मिली तो फफककर रोने लगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 11:28 AM (IST)
आसाराम प्रकरण के गवाह कृपाल की पत्नी का दर्द ...हमारी तो दुनिया उजड़ ही गई
आसाराम प्रकरण के गवाह कृपाल की पत्नी का दर्द ...हमारी तो दुनिया उजड़ ही गई

शाहजहांपुर (जेएनएन)। पीडि़ता के पक्ष में गवाही देने के कारण मारे गए कृपाल सिंह की पत्नी नीरज सिंह अभी तक सदमे में है। आसाराम को उम्रकैद की सजा की जानकारी उन्हें मिली तो फफककर रोने लगी। बोलों- अब चाहे आसाराम मरे या जिंदा रहे, हमे क्या? हमारी तो दुनिया उजड़ गई, मेरे बच्चे अनाथ हो गए। शाहजहांपुर  के मुहल्ला गदियाना में रहने वाला कृपाल सिंह पीडि़ता के पिता की कारोबारी फर्म में कार्यरत थे। केस में अहम गवाह थे। 10 जुलाई 2015 को देरशाम कृपाल सिंह ड्यूटी कर बाइक से घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में बाइक सवार बदमाशों ने उन्हें निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान मौत हो गई थी। हालांकि, मृत्यु पूर्व बयान में कृपाल ने आसाराम के गुर्गों का ही नाम लिया था। कृपाल की हत्या के समय उसकी गर्भवती पत्नी नीरज पर मानों वज्रपात हो गया। इसके बाद भी परिजनों को धमकियां मिलने लगीं। जिस कारण कृपाल की पत्नी को अपने मायके में आकर रहना पड़ा। फिलहाल नीरज दो पुत्रों के साथ मायके में रह रही है। 

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वाकई, इस पिता के जज्बे को सलाम

बच्चों के लिए फर्ज की बात सभी करते हैं, मिसाल बिटिया के पिता ने बनकर दिखाई। एक दो-दिन नहीं, पूरे चार साल आठ माह छह दिन तक सबकुछ दांव पर लगाकर आसाराम के खिलाफ जंग लड़ी। इस दौरान क्या कुछ नहीं सहा लेकिन, उन्होंने कभी भी अपना मन कमजोर नहीं होने दिया। आसाराम को उसके किए की सजा दिलाने के लिए पिता पूरी शिद्दत के साथ डटे रहे। वाकई, उनके जज्बे को सलाम...। पीडि़ता के पिता यूं तो मूल रूप से दूसरे प्रांत के हैं, लेकिन कारोबारी सिलसिले में लंबे समय से यहां रह रहे हैं। उनका कारोबार भी ठीकठाक चल रहा था। उनका परिवार आसाराम के प्रति अगाध आस्था रखता था। यही वजह थी कि उन्होंने आसाराम का आश्रम बनाने के लिए अपनी जमीन तक दे दी थी। आस्था के चलते अपने बेटा व बेटी को पढ़ाने आसाराम के गुरुकुल में भेज दिया था। उन्होंने कल्पना भी नहीं की, ऐसा होगा। आसाराम की हैवानियत ने बिटिया के पिता को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। उन्होंने अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने का संकल्प लिया। 

खौफजदा प्रधानाचार्य का परिवार, सुरक्षा मांगी

आसाराम मामले में सिर्फ बिटिया का परिवार ही नहीं बल्कि शहर के कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। धमकियां मिलीं, प्रलोभन दिए। एक गवाह की हत्या तक कर दी गई। इसी मामले में बिटिया को बालिग बताकर टीसी न देने पर सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य को धमकी भरा खत तक भेजा गया। अब जबकि आसाराम को सजा सुना दी गई है उन्होंने भी सुरक्षा बढ़ाने की गुहार लगाई है। 31 अक्टूबर 2013 को सिंजई स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्रधानचार्य अरविंद वाजपेयी रोज की तरह सुबह जल्दी उठ गए थे। स्कूल परिसर में बने अपने आवास से निकलकर उन्होंने गेट के पास पड़े अखबार उठाए और अंदर चले गए। काफी देर बाद जब दोबारा बाहर आए तो अखबार फिर से पड़े दिखे। उन्होंने जैसे ही अखबार खोले तो उनके अंदर दो पत्र मिले। पत्र खोले तो उनमें दो जिंदा कारतूस लिपटे हुए थे। दोनों पत्रों में अरविंद वाजपेयी को जान से मारने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। अरविंद वाजपेयी ने बताया कि उन्हें पहले भी धमकी मिल चुकी हैं। उन्होंने प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। 

टूटा सीए बनने का सपना 

शाहजहांपुर की बहादुर बेटी ने सीए बनने का सपना संजोया था। मां बाप ने संस्कारित शिक्षा के लिए गुरु की छांव में पढ़ाई के लिए आसाराम के मध्य प्रदेश स्थित आश्रम भेजा। साथ में बेटे का भी दाखिला करा दिया लेकिन, भक्त के भरोसे का कत्ल कर आसाराम ने बेटी के साथ ही घिनौनी हरकत कर डाली। घटना से टूट चुकी बेटी साल भर बाद हिम्मत कर उठ खड़ी हुई। दूरस्थ शिक्षा से बीकॉम के बजाय बीए की डिग्री के लिए पढ़ाई शुरू कर दी। प्रथम श्रेणी से इंटरमीडिएट पास करने के बाद बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा भी अच्छे अंक से पास की। बीए की पढ़ाई के बाद बहादुर बेटी आत्मनिर्भर बन पिता का हाथ बंटाना चाह रही है। 

एक साल हुआ बर्बाद

घटना के बाद पीडि़ता के पिता ने बेटे का तो एक निजी स्कूल में प्रवेश दिला दिया, लेकिन सुरक्षा कारणों से बहादुर बेटी को प्रवेश नहीं दिलाया जा सका। नतीजतन 2013-14 का साल बर्बाद हो गया। 

भाई नहीं बन सका क्रिकेटर

पीडि़ता के साथ मध्य प्रदेश में आश्रम में पढ़ रहा छोटा भाई क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी है। सचिन तेंदुलकर की तरह क्रिकेटर बनने का ख्वाब टूट गया। सुरक्षा कारणों तथा न्याय की लड़ाई में पीडि़ता के पिता बेटे को स्पोट्र्स कॉलेज में प्रवेश नहीं दिला सके। 


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