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गुमसुम है रायवाला कपड़ा बाजार, पुराने दिन लौटने का इंतजार

रायवाला कपड़ा बाजार गुमसुम है। न पुराने दिनों की चहल-पहल न ही वह कारोबार। कभी जाम से कराहने वाले रायवाला बाजार की गलियां खामोश हैं। कोरोना से जंग के बाद अनलाक हुआ रायवाला बाजार हालांकि अब राहत महसूस कर रहा है। कारोबार पटरी पर लौट रहा है। व्यापारियों को उम्मीदें भी हैं लेकिन अभी मुस्कुराहट लौटी नहीं है। दरअसल दीपावली पर बाजार काफी ठंडा है पिछले साल की तरह खरीदार नहीं पहुंच रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 05:52 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:52 PM (IST)
गुमसुम है रायवाला कपड़ा बाजार, पुराने दिन लौटने का इंतजार
गुमसुम है रायवाला कपड़ा बाजार, पुराने दिन लौटने का इंतजार

सहारनपुर, जेएनएन। रायवाला कपड़ा बाजार गुमसुम है। न पुराने दिनों की चहल-पहल, न ही वह कारोबार। कभी जाम से कराहने वाले रायवाला बाजार की गलियां खामोश हैं। कोरोना से जंग के बाद अनलाक हुआ रायवाला बाजार हालांकि अब राहत महसूस कर रहा है। कारोबार पटरी पर लौट रहा है। व्यापारियों को उम्मीदें भी हैं, लेकिन अभी मुस्कुराहट लौटी नहीं है। दरअसल दीपावली पर बाजार काफी ठंडा है, पिछले साल की तरह खरीदार नहीं पहुंच रहे। रायवाला बाजार में अपेक्षाकृत भीड़ भी काफी कम है। कपड़ा कारोबारियों को उम्मीद है कि धीरे ही सही कारोबार पटरी पर आ जाएगा।

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सहारनपुर की पहचान कपड़ा कारोबार के लिये भी होती है। यहां का रायवाला बाजार आसपास के राज्यों में बड़े पैमाने पर कपड़े की आपूर्ति करता है। कपड़ा मंडी के रूप में विख्यात रायवाला मार्केट को कोरोना में बड़ा नुकसान हुआ। अब दीपावली व अन्य पर्वों के मौके पर व्यापारियों के चेहरों की खोई चमक लौटी है। कोरोना काल की पीड़ा का असर रायवाला बाजार पर अब तक साफ नजर आ रहा है, परन्तु त्योहारों ने एक बार फिर बाजार में नई उम्मीद जगाई है। पड़ोसी राज्यो के लिए भी व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में विशिष्ट पहचान रखने वाले राय वाला बाजार में प्रभावित हुई व्यावसायिक गतिविधियां चल पड़ी हैं। बाजार में कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं।

कपड़ा कारोबारी अनवर अंसारी कहते हैं कि बाजार का हाल इसी से पता चलता है कि जहां पिछले वित्तीय वर्ष में रायवाला कपड़ा मार्किट से पैदल भी गुजरने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कपड़ा मंडी की रौनक फीकी है, व्यापारियों के चेहरों पर वह मुस्कान नहीं है। ओमप्रकाश कंसल कहते हैं कि कई कपड़ा व्यापारी कपड़े के पुश्तैनी कारोबार को छोड़कर दूसरे व्यापार में जा चुके हैं। हालांकि बाजार में आई चहल-पहल ने अब कपड़ा व्यापारियों में उत्साह बढ़ाया है। कपड़ा व्यापारी व व्यापारी नेता राधेश्याम नारंग ने बताया की पिछले साल के मुताबिक इस साल 25 से 30 फीसदी तक व्यापार में कटौती हुई है, जिसका मुख्य कारण कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की प्रक्रिया है। राजीव फुटेला ने प्रशासन से अपील कर कहा कि व्यापार में प्रोत्साहन देने के लिए मंगलवार को व्यावसायिक गतिविधियों में थोड़ी छूट दें।


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