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राजस्व विभाग के एक निरीक्षक व लेखपाल की रिपोर्ट पर उठे सवाल

देवबंद में जमीन खरीद घोटाले के मामले में एक के बाद एक नया राजफाश हो रहा है। चर्चित भूमाफिया द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर स्टेट हाईवे पर खरीदी जमीन को आबादी में दर्ज कराया था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 06:41 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 06:41 PM (IST)
राजस्व विभाग के एक निरीक्षक व लेखपाल की रिपोर्ट पर उठे सवाल

सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद में जमीन खरीद घोटाले के मामले में एक के बाद एक नया राजफाश हो रहा है। चर्चित भूमाफिया द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर स्टेट हाईवे पर खरीदी जमीन को आबादी में दर्ज कराया था। पूरे प्रकरण में संबंधित हल्का लेखपाल से लेकर राजस्व निरीक्षक द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर तहसील स्तर के उच्च अधिकारियों द्वारा जमीन का सर्वे किए बिना ही खरीदी गई जमीन को आबादी में दर्ज करा दिया था।

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सहारनपुर मुजफ्फरनगर स्टेट हाईवे 59 स्थित गांव शाहपुर मैं बंद रहे 220 केवीए बिजली घर निर्माण के लिए खरीदी जमीन के मामले में एक के बाद एक गड़बड़ी निकल कर सामने आ रही है। वर्ष 2017 में संबंधित लेखपाल और राजस्व निरीक्षक द्वारा खसरा नंबर 260 की भूमि को स्टेट हाईवे के समीप दर्शाते हुए धारा 80 (आबादी) में दर्ज कराने की संस्तुति भी तहसील स्तर के अधिकारियों को की थी, जबकि किसी भी खेती योग्य भूमि को धारा 80 में दर्ज कराने के लिए उक्त भूमि पर 60 से 70 निर्माण होना जरूरी होता है।

किसानों का आरोप है कि चर्चित भूमाफिया द्वारा अपने राजनीतिक संबंधों व धनबल पर फर्जी रिपोर्ट के आधार पर खसरा नंबर 260 की भूमि को आबादी में दर्ज कराया। इसके बाद ऊर्जा निगम के अधिकारियों से सांठगांठ कर अतिरिक्त दौ करोड़ रुपये की राशि ऊर्जा निगम से ली गई। जबकि उक्त खसरों के ठीक पीछे जमीन खरीदने में ऊर्जा निगम द्वारा किसानों के साथ दोहरी नीति अपनाई जाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं। चर्चित भूमाफिया द्वारा उनसे तो खेती योग्य भूमि का बैनामा स्टेट हाईवे से काफी पीछे लिया गया, और स्वयं द्वारा उक्त भूमि का ही बैनामा ऊर्जा निगम के नाम करते हुए उक्त भूमि को राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर स्टेट हाईवे पर दर्शा दिया गया।

किसान अरुण चौधरी, यशवीर चौधरी, संदीप चौधरी, समेत अन्य लोगों ने पूरे प्रकरण में राजस्व विभाग और चर्चित भूमाफिया की सांठगांठ की जांच प्रदेश सरकार व जिलाधिकारी से कराने की गुहार लगाई है। किसानों का आरोप है कि उन्होंने पूरे प्रकरण को उच्च अधिकारियों के समक्ष भी रखा लेकिन आज तक में उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।

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यह होती है धारा 80

किसी भी खेती योग्य भूमि को आबादी क्षेत्र में दर्ज कराने की कार्रवाई को धारा 80 कहा जाता है, जिसके बाद उक्त क्षेत्र आबादी युक्त क्षेत्र घोषित किया जाता है। जिस भूमि को आबादी में दर्ज किया जा रहा है, जिसमें 60 से 70 फीसद निर्माण कार्य पूरा होना चाहिए। लेकिन ऊर्जा निगम द्वारा अब जाकर उक्त भूमि चारदीवारी का कार्य शुरू कराया गया, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठना लाजमी है।

इन्होंने कहा...

उक्त भूमि को जब आबादी में दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू की गई थी, उस समय वह देवबंद में तैनात नहीं थे। शिकायत मिलने पर मामले की जांच कराई जाएगी।

हर्ष चावला, तहसीलदार देवबंद।

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जमीन को आबादी में दर्ज कराने की प्रक्रिया राजस्व विभाग द्वारा की जाती है। ट्रांसमिशन विभाग द्वारा खरीदी गई जमीन के मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं बरती गई।

सत्येंद्र कुमार, एसडीओ ट्रांसमिशन विभाग सहारनपुर


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