सियासी संतुलन साधने में बीत गया प्रियंका का दौरा
काग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा का बुधवार को सहारनपुर दौरा सियासी संतुलन बनाने में बीता। सहारनपुर में प्रवेश करते ही मा शाकंभरी धाम में मत्था टेकते बाबा भूरादेव के दरबार में हाजिरी लगाते खानकाह में दुआ कराते मंच पर भगवाधारी संतों के आगे सिर झुकाते और हाथों में हल लेकर ललकारते प्रियंका वाड्रा कैमरों में खूब कैद हुईं।
सहारनपुर, जेएनएन। काग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा का बुधवार को सहारनपुर दौरा सियासी संतुलन बनाने में बीता। सहारनपुर में प्रवेश करते ही मा शाकंभरी धाम में मत्था टेकते, बाबा भूरादेव के दरबार में हाजिरी लगाते, खानकाह में दुआ कराते, मंच पर भगवाधारी संतों के आगे सिर झुकाते और हाथों में हल लेकर ललकारते प्रियंका वाड्रा कैमरों में खूब कैद हुईं। चिलकाना में किसान पंचायत के मंच पर प्रियंका मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध लोगों का अभिवादन भी स्वीकार रही थीं, और कार्यक्रम के समापन पर संतों से मा वैष्णो देवी की चुनरी भी पहन रही थीं। वस्तुत: सभी को साध लेने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाह रही थीं प्रियंका वाड्रा। प्रियंका की इस किसान पंचायत के पीछे पार्टी ने होमवर्क किया था। किसान पंचायत के नाम पर सभी वर्गो को साधने की रणनीति अपनाई गई थी।
सहारनपुर में प्रियंका वाड्रा के हर कदम के पीछे सियासी समीकरण साधने की कोशिश देखी जा रही है। मंदिर तथा खानकाह दोनों जगह जाकर प्रियंका ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि काग्रेस के लिए हर वर्ग समान है। उधर, पंचायत में किसानों को लुभाने का हर प्रयास प्रियंका ने किया। मंच पर संतों की मौजूदगी काग्रेस के लिए नई थी, लेकिन नए समीकरण बनाने के लिए यह प्रयोग भी प्रियंका ने किया।
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जादू नहीं जगा सका भाषण
किसानों को लुभाने के लिए आईं प्रियंका वाड्रा अपने भाषण से कोई खास जादू नहीं जगा सकीं। उन्होंने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो घेरा, लेकिन किसानों के स्थानीय मुद्दे उनके भाषण से नदारद रहे। हा, एक लाइन में उन्?होंने गन्?ना बकाया का जिक्र कर दिया। अपने भाषण में माता शाकंभरी का जिक्र तो किया, लेकिन खानकाह का उल्लेख करना शायद भूल गईं प्रियंका।
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योगी सरकार पर कोई टिप्पणी नहीं
प्रियंका की यह पंचायत विधानसभा चुनाव के श्रीगणेश के लिहाज से अहम मानी जा रही थी, लेकिन उन्?होंने अपने भाषण में विस चुनाव का कोई उल्लेख नहीं किया। वह दिल्ली में अपनी सरकार बनवाने की बात तो करती रहीं, लेकिन योगी सरकार पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। इससे यह भी साफ होता दिखा कि यह कई दिनों से चल रहे कृषि कानून विरोधी आदोलन में पहुंच रहे लोगों को अपनी तरफ खींचने की कवायद भर है। यह अलग बात है कि उनकी यह कोशिश कृषि कानून विरोधी आदोलन चला रहे संगठनों को रास आता है कि नहीं।