पैगाम-ए-रमजान : सदका-ए-फितर से करें गरीबों की मदद
देवबंद में ईद का दिन मुसलमानों के लिए बड़ी खुशी का दिन है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर के बीच आ रहे ईदुल फितर के त्यौहार को उलमा सादगी से मनाने की अपील कर रहे है।
सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद में ईद का दिन मुसलमानों के लिए बड़ी खुशी का दिन है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर के बीच आ रहे ईदुल फितर के त्यौहार को उलमा सादगी से मनाने की अपील कर रहे है। साथ ही सदका-ए-फितर से गरीबों की मदद का आह्वान भी कर रहे हैं।
जमीयत दावतुल मुसलिमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा का कहना है कि इस ईद को लोग अपने घरों पर रहते हुए सादगी से मनाएं। साथ ही कोरोना के इस आपदा काल में ईद से पहले सदका ए फितर देकर गरीबों की मदद करें। उन्होंने बताया कि सदका-ए-फितर देना हर हैसियत वाले मुसलमान पर वाजिब है। सबसे बेहतर यह है कि रमजान के मुकद्दस महीने में ही सदका ए फितर अदा कर दिया जाए, जिससे कि गरीबों, गरीब रिश्तेदारों व गरीब पड़ोसियों की मदद हो सके। यदि रमजान के महीने में सदका ए फितर अदा न किया जा सके तो ईद की नमाज से पहले इसे अदा कर देना चाहिए। इस्लामी पुस्तक इल्मुल फिकाह का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि सदका ए फितर हर उस मुसलमान मर्द और औरत पर वाजिब है, जो ईदुल फितर के दिन साढ़े बावन तौला चांदी या साढ़े सात तौला सोना या फिर उसके बराबर के जेवर, नकद या बुनियादी जरूरतें जैसे रिहाइशी मकान, इस्तेमाल के कपड़े और बर्तन आदि से ज्यादा सामान का मालिक होने की हैसियत रखता हो। अगर कीमती कपड़े, बर्तन, फर्नीचर आदि की कीमत साढ़े बावन तौला चांदी (छह सौ बारह ग्राम) के बराबर हो जाती हो, तो भी उस पर सदका ए फितर वाजिब है। इस बार सदका-ए-फितर की सबसे कम राशि 35 रुपये है।