अदालत की रहमदिली पर भारी पड़ेगी लापरवाही
लाकडाउन के दौरान उच न्यायालय के निर्देश पर सात साल से कम सजा के अपराध में गिरफ्तार किए गए आरोपितों को अंतरिम जमानत का लाभ जिला अदालतों ने दिया था।
सहारनपुर, जेएनएन। लाकडाउन के दौरान उच्च न्यायालय के निर्देश पर सात साल से कम सजा के अपराध में गिरफ्तार किए गए आरोपितों को अंतरिम जमानत का लाभ जिला अदालतों ने दिया था। परिणाम यह रहा कि अब कई आरोपित अपनी रेगुलर बेल कराने अदालत नहीं आ रहे हैं। ऐसे आरोपितों के लिए अदालतों की सख्ती भारी पड़ सकती है।
23 मार्च 2020 को लाकडाउन लगा था। जेल में कोरोना संक्रमण न फैले, इसलिए उच्च न्यायालय ने जघन्य अपराध से इतर आरोपितों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश को समय-समय पर बढ़ाया भी गया। अब पांच जनवरी 2021 के आदेश से उच्च न्यायालय ने जिला अदालतों को विधिवत कार्य करने के निर्देश जारी किए। परंतु अभी भी 450 से ज्यादा ऐसे आरोपित अंतरिम जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं जिन्होंने कोरोना काल में इसका लाभ उठाया था। हालांकि, 500 से अधिक आरोपित इस बीच समर्पण कर रेगुलर बेल हासिल कर चुके हैं। लेकिन बड़ी संख्या में अभी भी ऐसे आरोपित अदालत की रहमदिली का दुरुपयोग कर रहे हैं ।
अकेले सीजेएम कोर्ट के डेढ़ सौ मामले
अंतरिम जमानत पर रिहा हुए मामलों को देखा जाए तो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से जुड़े थानों के ही 148 मामले लंबित हैं। सर्वाधिक मामले थाना बेहट के हैं। यहां 42 ऐसे आरोपित हैं जो अंतरिम जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा थाना मंडी के पांच, आरपीएफ के दो, सदर के 33, सरसावा के 27, क़ुतुबशेर के 23, कोतवाली नगर के 15 तथा रामपुर मनिहारान का एक मामला है। इसके अलावा थाना मिर्जापुर, चिलकाना गागलहेड़ी, नकुड़, जनकपुरी, गंगोह, फतेहपुर, तीतरो व बड़गांव के 335 मामलों में आरोपितों को अपनी जमानत करानी हैं।