इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ मिरगपुर गांव
नशा मुक्त गांव के लिए देशभर में पहचान बना चुके मिरगपुर का नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। सहारनपुर के ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध नगर देवबंद से आठ किलोमीटर दूर मंगलौर रोड पर काली नदी के तट पर बसा मिरगपुर अपने खास रहन-सहन और सात्विक खानपान के लिए विख्यात है।
सहारनपुर, जेएनएन। नशा मुक्त गांव के लिए देशभर में पहचान बना चुके मिरगपुर का नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। सहारनपुर के ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध नगर देवबंद से आठ किलोमीटर दूर मंगलौर रोड पर काली नदी के तट पर बसा मिरगपुर अपने खास रहन-सहन और सात्विक खानपान के लिए विख्यात है।
10 हजार आबादी का मिरगपुर गांव धूमपान रहित गांव की श्रेणी में शुमार है। गुर्जर बहुल गांव में किसी भी दुकान पर नशे का सामान नहीं बिकता। लोग यहां पिछले 500 साल से मांस-मदिरा का सेवन अथवा धूमपान जैसा कोई व्यसन नहीं करते। प्याज-लहसुन तक से परहेज है।
गांव का नशामुक्त बनाने में कुछ युवाओं ने अहम योगदान दिया। गांव के लोग इसे बाबा फकीरा दास का आशीर्वाद मानते हैं। मिरगपुर सेवा समिति के सदस्य मनोज पंवार, रवि, अंकुर, गुरजीत पंवार, प्रभात पंवार, विवेक पंवार आदि का कहना है कि इंडिया बुक आफ रिकार्ड में गांव का नाम दर्ज होना बड़ी उपलब्धि है।
अखिल भारतीय गुर्जर महासभा से जुड़े चौधरी वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि मुगल शासनकाल में गांव के लोग आताताइयों से त्रस्त थे। तब उनके गांव में पंजाब के संगरूर जिले के घरांचो इलाके से सिद्ध पुरुष बाबा फकीरा दास पहुंचे, जिनका गांव में एक पखवाड़े तक प्रवास रहा। उन्होंने अपने चमत्कारिक व्यक्तित्व से ग्रामीणों को प्रभावित कर दिया। कहा, यदि गांव के लोग नशा और दूसरे तामसिक पदार्थो का परित्याग कर दें तो गांव सुखी और समृद्धशाली बन जाएगा। यहां के लोग इस परंपरा का पालन 17वीं शताब्दी से करते आ रहे हैं।
पर्यटन स्थल बनाने की मांग
गांव को पर्यटन स्थल बनाने के मांग कई बार में विधानसभा में भी उठाई जा चुकी है। गांव में फकीरादास के मंदिर पर हर वर्ष मेला भी लगता है।