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चकहरेटी के तालाब में रोपित किए जाएंगे सूक्ष्म व तैरते पौधे

दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के अंतर्गत नगर निगम के सहयोग से तालाब में सूक्ष्म व तैरते पौधों का रोपण किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 11:39 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:39 PM (IST)
चकहरेटी के तालाब में रोपित किए जाएंगे सूक्ष्म व तैरते पौधे
चकहरेटी के तालाब में रोपित किए जाएंगे सूक्ष्म व तैरते पौधे

सहारनपुर, जेएनएन। दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के अंतर्गत नगर निगम के सहयोग से तालाब में सूक्ष्म व तैरते पौधों का रोपण किया जाएगा। तालाब के सर्वे के बाद अनउपचारित जल का प्राकृतिक विधियों से उपचार कर पुनर्चक्रण होगा। शुक्रवार को चकहरेटी के तालाब में पौधे रोपे जाएंगे।

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सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत तालाब जीर्णोद्धार प्लानिग के विषय में नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि जनसहभागिता के साथ नगर निगम के चकहरेटी में मौजूद तालाब को चुना है। तालाब का जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार माडल के रूप में विकास किया जायेगा, इसके लिए चिह्नाकन कराया गया है। आईटीसी के वैज्ञानिक धनेश गर्ग की मदद से इसका भूवैज्ञानिक अध्ययन भी कराया गया है। पर्यावरण अनुभाग की टीम को लगाकर जैव विविधता का अध्ययन कार्य चल रहा है।

नगर आयुक्त ने बताया कि नगर निगम द्वारा जल उपचार के लिए अलग से एक टीम लगाई गई है, जिसे इस तालाब के अनउपचारित जल के समाधान खोजने के लिए लगाया गया है। निगम द्वारा तीन प्राकृतिक तकनीकों को इस्तेमाल करके उपचारित जल को जीव जन्तुओं के रहने लायक बनाया जाएगा, इन तीनों तकनीक को प्रयोग बडे नालों व ढमोला, नागदेई, पांवधोई नदियों पर सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जल दो तरह का होता है एक मृत जल दूसरा जीवित जल, इसकी परिभाषा ये है कि पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा यदि शून्य है तो इसे मृत माना जाता है और यदि छह एमजी प्रतिलीटर से ज्यादा है तो इसे जीवित माना जाता है। पानी में आक्सीजन बढाने के लिए टीम द्वारा स्थानीय सूक्ष्म पौधों को नगर निगम के लैब में कल्चर किया जा रहा है, इन पौधों को तालाब में डाला जायेगा, इसके अलावा पानी के अंदर मौजूद मलमूत्र को साफ करने के लिए जल गुलाब नाम के पौधे पानी में छोडे जाएंगे ये पौधे मैकरोफाइट कहलाते हैं जो हर 12 दिन में दोगुने हो जाते है और पानी व हवा की गंदगी को सोखकर बायोमास में बदल देते हैं, पानी के उपचार के दौरान पैदा हुए बायोमास को खाद, गैस व बिजली में बदलने की येाजना भी बनाई जा रही हैं। शुक्रवार को चकहरेटी के तालाब में जल गुलाब नाम के पौधे छोडे़ जाएंगे।


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