लोक अदालत ने उजड़ने से बचाए 20 घर
अदालत परिसर में शनिवार को लगी लोक अदालत में 20 ऐसे जोड़ों को मिलाया गया जो बर्बादी के कगार पर पहुंच गए थे। इन जोड़ों के बीच मामूली बात को लेकर विवाद चल रहा था।
सहारनपुर, जेएनएन। अदालत परिसर में शनिवार को लगी लोक अदालत में 20 ऐसे जोड़ों को मिलाया गया, जो बर्बादी के कगार पर पहुंच गए थे। इन जोड़ों के बीच मामूली बात को लेकर विवाद चल रहा था।
केस एक
विकास और पारुल ने 16 फरवरी 2021 को प्रेम विवाह किया था। कुछ माह बाद ही रिश्तों में कड़वाहट आई और मामला अदालत तक जा पहुंचा। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश नरेंद्र सिंह ने मामले की गंभीरता को समझा और दोनों को अपने कक्ष में बुलाकर समझाया, जिसके बाद दोनों मान गए। केस दो
धर्मेंद्र और मीनाक्षी की पांच साल पहले शादी हुई थी। किसी बात को लेकर दोनों में विवाद गहराया और अदालती कार्यवाही शुरू हो गई। हालांकि दोनों पक्षों के अधिवक्ता और अदालत की सलाह ने इनके मन मुटाव को दूर किया और इन्होंने वापस अपना घर बसाने का मन बनाया। केस तीन
अफजाल और शबनम का मामला भी अलग नहीं है। इनकी शादी को 19 साल हो चुके हैं। पांच बच्चों की माता शबाना करीब एक साल से अदालतों में आ जा रही है। अदालत के समझाने पर उसने व अफजाल ने अपने विवाद खत्म करने का निर्णय लिया। केस चार
ओंकार और पूजा का विवाह नौ साल पहले हुआ था। उनके दो बच्चे हैं। डेढ़ साल पहले हुए विवाद के चलते इनका भी मामला अदालत में आया। जब इन्हें जीवन का व्यवहारिक पक्ष समझाया गया तो इन्होंने विवाद खत्म करना ही उचित समझा। बुजुर्ग दंपती को भी मिली राहत
अपने बेटों से नाराज एक वृद्ध दंपति ने अदालत से भरण-पोषण दिलाए जाने की याचना की। कहा कि उन्हें देखभाल की जरूरत है। यह देख कर अपर प्रधान न्यायाधीश मनोरमा ने वृद्ध दंपति और उनके बच्चों को समझाया। दोनों की सुलह कराई। परिणाम यह रहा कि वृद्ध दंपत्ति ने अपना मामला वापस ले लिया और अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी चले गए।
इन्होंने कहा..
राष्ट्रीय लोक अदालत में 20 जोड़ों के घर बसाए गए हैं। इनके बीच मामूली बातों को लेकर विवाद चल रहा था।
-नरेंद्र कुमार सिंह, परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश।