बंदूक थामने वाले हाथों ने रंगों से कर दिया कमाल
रामपुर मनिहारान खुद को खुद के अंदर ही तलाश करो कभी अपने कर्मों पर भी एतबार करो कभी इन्हीं लाइनों को गुनगुनाते हुए कवि चित्रकार प्रदीप दीवान अपनी कला से कुछ ही पलों में किसी के भी
सहारनपुर जेएनएन। खुद को खुद के अंदर ही तलाश करो कभी, अपने कर्मो पर भी एतबार करो कभी, इन्हीं लाइनों को गुनगुनाते हुए कवि चित्रकार प्रदीप दीवान अपनी कला से कुछ ही पलों में किसी के भी चित्र को बनाकर तैयार कर देते हैं। प्रदीप की दीवानगी सिर्फ चित्रकला तक ही नहीं बल्कि पुस्तकों का भंडार भी उनके शौक में शामिल है।
कस्बे के निवासी प्रदीप कुमार दीवाना ने 20 साल तक बीएसएफ में देश की सीमा पर रहकर देश की सेवा की और फिर भी अपने अंदर समाज का जच्बा नहीं छोड़ा। प्रदीप ने बीएसएफ से वीआरएस ले ले लिया और फिर उर्दू की पढ़ाई कर अध्यापन का कार्य आरंभ किया। आज वे एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन का कार्य कर रहे है।अध्यापन के कार्य के साथ-साथ प्रदीप ने अपने मन के अंदर की कला को रंग देना आरंभ किया और मुशायरे में भाग लेना आरंभ कर दिया अपने शब्दों से जमकर वाहवाही लूटी। प्रदीप ने अपने हाथों की कला को रंग देना भी आरम्भ किया, प्रदीप अपने हाथों से हूबहू अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डा. आंबेडकर, अखिलेश यादव व मुलायम सिंह यादव आदि राजनेताओं के चित्र व विभिन्न पशु पक्षियों के चित्र बना चुके हैं तथा कुछ को मिलकर उन्हें भेंट भी कर चुके हैं। यही नहीं प्रदीप के पास उर्दू की पुस्तकों का खजाना भी है जिसमें एक से बढ़कर एक उर्दू की किताब है और धार्मिक पुस्तकें शामिल है। उनकी इस कला को देखकर लोग तारीफ करते हैं तो किताबों के खजाने को लोग देखते हैं इसके साथ ही वे अन्य सामाजिक संगठनों में भी भाग लेकर समाज सेवा का कार्य बढ़-चढ़कर कर रहे है। उनकी इस कला की तारीफ के चर्चे क्षेत्र में चारों ओर हैं। स्कूल में भी अध्यापन कार्य से अलग बच्चों को शिक्षा के प्रति विशेष रूप से प्रेरित करते हैं तथा बच्चों के घर जाकर उनके परिजनों को भी बच्चों की शिक्षा के प्रति विशेष रूचि अपनाने की अपील करते हैं। प्रदीप कहते हैं कि आज हम जो कार्य कर रहे हैं वह ही हमारा कल का आधार निश्चित करेगा।