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शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ जयवीर संघर्षरत

आमतौर पर कई लोग अपने आसपास तथा अपने संपर्क में एक दूसरे का शोषण होते हुए देखते हैं लेकिन उसका विरोध नहीं कर पाते। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो संघर्षकर ज्यादती का विरोध करते हैं। छात्र जीवन से ही शोषण के विरूद्ध्र संघर्ष कर रहे जयवीर राणा व्यापारियों और अभिभावकों के हितों की लड़ाई लड़ रहे है। पीड़ित को न्याय दिलाने के उनका संघर्ष अनवरत जारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 11:24 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:06 AM (IST)
शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ जयवीर संघर्षरत
शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ जयवीर संघर्षरत

सहारनपुर जेएनएन। आमतौर पर कई लोग अपने आसपास तथा अपने संपर्क में एक दूसरे का शोषण होते हुए देखते हैं, लेकिन उसका विरोध नहीं कर पाते। कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो संघर्षकर ज्यादती का विरोध करते हैं। छात्र जीवन से ही शोषण के विरूद्ध्र संघर्ष कर रहे जयवीर राणा व्यापारियों और अभिभावकों के हितों की लड़ाई लड़ रहे है। पीड़ित को न्याय दिलाने के उनका संघर्ष अनवरत जारी है।

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जिले के गांव झिझौली के मूल निवासी जयवीर राणा ने छात्रजीवन से संघर्ष की शुरूआत कर दी थी, इससे पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल से भी जुड़े रहे। पुवांरका राजकीय महाविद्यालय में स्नातक करने के दौरान छात्रसंघ में पुस्तकालय अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। छात्रों के समक्ष विवि से संबंधित परेशानियों को हल कराने के लिए जिला प्रशासन के समक्ष उनकी बेबाक तरीके से बात रखी तो कई बार चौ.चरण सिंह विवि मेरठ पहुंचकर भी छात्रों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। कालेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने मुड़कर नही देखा। कई स्वयंसेवी संगठनों का नेतृत्व करते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाने में जुटे रहे। 54 वर्षीय कमलेश्वर उनसे वर्ष-2012 में मिला। वह एक फैक्ट्री में चौकीदारी करता था। अचानक एक दिन मालिक ने बिना नोटिस दिए निकाल दिया। कारण पूछा तो वह भी नही बताया। जयवीर ने कमलेश्वर की पूरी बात सुनी और सीधे उन्हें लेकर श्रम कार्यालय पहुंचे। जांच होने पर पता चला कि फैक्ट्री स्वामी गलत तरीके से कमलेश्वर को नौकरी से हटाना चाहता था। श्रम विभाग ने जब कार्रवाई की बात कही तो फैक्ट्री स्वामी ने गलती स्वीकारते हुए कमलेश्वर को नौकरी पर वापस लिया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष का दायित्व जयवीर राणा पिछले छह वर्षों से संभाल रहे है। समय-समय पर सरकारी विभागों द्वारा व्यापारियों के उत्पीड़न के मामलों को उन्होंने उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रमुखता से उठा रहे है।कोरेाना लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों के हितों व गरीब विद्यार्थियों के दाखिलों की भी लडाई लड़ रहे हैं। वे आम जनता के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ भी संघर्ष में कूद जाते हैं। कोरोना लॉकडाउन अवधि की फीस माफ करने की मांग को लेकर प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक आवाज उठाई। अभिभावकों को अधिकारों के प्रति जागरूक किया। नतीजा यह रहा कि जो स्कूल तीन और चार माह की फीस एक साथ लेते थे उन्होंने एक-एक माह की फीस लेना स्वीकार किया। जयवीर बताते है कि अभी उनकी लड़ाई जारी है इसके लिए वह अभिभावकों के साथ मिलकर लगातार आवाज बुलंद करते रहेंगे।


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