कोरोना ने बदल दिए चुनाव प्रचार के तौर-तरीके
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान होने वाला शोर-शराबा इन दिनों कोरोना संकट के कारण थम सा गया है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर 25 जनवरी तक चुनावी रैली सभाओं और जुलूस आदि निकालने पर रोक लगी है।
सहारनपुर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान होने वाला शोर-शराबा इन दिनों कोरोना संकट के कारण थम सा गया है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर 25 जनवरी तक चुनावी रैली, सभाओं और जुलूस आदि निकालने पर रोक लगी है। चुनाव प्रचार का शोर न होने से लोगों को भी इन दिनों खासी राहत है। आयोग के अगले निर्देश के बाद प्रचार के तरीके क्या होंगे? यह भविष्य के गर्भ में है।
कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर जिले में 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 21 जनवरी से शुरू हो चुकी है। 28 जनवरी तक नामांकन पत्र भरे जाएंगे। निर्वाचन आयोग द्वारा आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी करने के साथ ही पहले 15 जनवरी तक और उसके बाद 25 जनवरी तक चुनावी रैली, सभाओं और जुलूस आदि के निकालने पर रोक लगा रखी है।
कोरोना की तीसरी लहर
इन दिनों कोरोना की तीसरी लहर अपने चरम पर है। जिले में आए दिन सैकड़ों की संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, और इन सब के बीच चुनाव की गहमागहमी भी शुरू हो चुकी है। पूर्व में चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर नजर आने लगते थे, कहीं नुक्कड़ सभाएं होती थी तो कहीं साइकिल और बाइक रैली जैसे कार्यों से प्रचार शुरू हो जाता था। दिन भर कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशी के समर्थन में जोरशोर से प्रचार करते थे। स्थिति यह हो जाती थी कि संकरे बाजारों और मोहल्लों में कई बार विभिन्न दलों के प्रचार कर रहे कार्यकर्ता आमने-सामने तक भी आ जाते थे। प्रदेश स्तरीय नेताओं के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के नेता भी रैली करने के लिए चुनाव के क्षेत्रों में पहुंचते थे। कोरोनाकाल में थे पंचायत चुनाव
गत वर्ष अप्रैल ग्राम पंचायत चुनाव भी कोरोना संक्रमण के बीच ही कराए गए थे, लेकिन पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य प्रधान बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य के पद के लिए ही चुनाव हुए थे। उस दौरान बड़ी सभाएं आदि नहीं होती थीं लेकिन गांव में प्रचार के तौर-तरीके विधानसभा चुनाव से काफी भिन्न थे। पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से प्रचार पर कोई सख्त प्रतिबंध भी लागू नही किए गए थे। कोरोना प्रोटोकाल से दलों के बंधे हाथ
कोरोना प्रोटोकाल लागू होने के कारण राजनीतिक दल केवल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ही अपना प्रचार प्रसार कर सकते हैं। कई दल इस दिशा में आगे भी बढ़े हैं वह पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ आनलाइन बैठक कर रहे हैं, उन्हें चुनावी रणनीति समझाने में लगे हैं। वहीं दूसरी ओर जिन दलों द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं, वह विभिन्न क्षेत्रों में अपने समर्थकों के घर छोटी-छोटी बैठकर बुला रहे हैं और सुबह, दोपहर और शाम को कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर वोट की अपील भी कर रहे हैं। पार्टियों के प्रबुद्ध कार्यकर्ता भी टीम लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे हैं, हालांकि इस प्रचार में भीड़ की अभी वह स्थिति देखने को नहीं मिल रही है जो पूर्व में हुआ करती थी।
पुलिस-प्रशासन को भी राहत
चुनाव प्रचार की यदि अभी तक की स्थिति यदि देखी जाए तो उससे पुलिस-प्रशासन भी राहत में है। चुनाव में नामांकन के दौरान व्यवस्था को पुख्ता बनाने और कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर ही प्रशासन का पूरा ध्यान केंद्रित है। घोषित प्रत्याशी अपने-अपने कैंप कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के साथ सुबह शाम बैठक भी कर रहे हैं उन्हें दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं कि चुनावी रणनीति को किस प्रकार आकार दिया जाए और हमें सफलता किस प्रकार मिल सकती है।
अभी रैलियों का नहीं शोर-शराबा
अगले दिनों में यदि निर्वाचन आयोग प्रचार के लिए कुछ ढील देता है तो ही चुनाव का रंग तेजी से जमता नजर आएगा। फिलहाल तो चुनावी रंग फीका-फीका सा है, केवल सोशल मीडिया पर दलों के समर्थक और विरोधी एक दूसरे पर जमकर अपनी भड़ास जरूर निकाल रहे हैं।
वहीं आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं अभी चारों ओर चुनाव प्रचार की सरगर्मी नहीं है। पूर्व के चुनाव प्रचार के दौरान सुबह से ही चुनाव प्रचार के सरपट दौड़ती गाड़ियों, रैलियों आदि से माहौल गर्मा जाता था। अब शोर-शराबा न होने से चुनावी मौसम में शांति ही नजर आ रही है।