सहारनपुर जिला पंचायत में निरक्षर सदस्यों का दबदबा
तीन दशक पहले पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों...यह स्लोगन गीत दूरदर्शन पर लोगों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करने को दिखाया जाता था ताकि देश से निरक्षता के अंधकार को मिटाया जा सके।
सहारनपुर, जेएनएन। तीन दशक पहले पढ़ना लिखना सीखो, ओ मेहनत करने वालों...यह स्लोगन गीत दूरदर्शन पर लोगों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करने को दिखाया जाता था, ताकि देश से निरक्षता के अंधकार को मिटाया जा सके। आज तीन दशक बाद भी निरक्षता का यह कलंक दूर नही हो सका, इसकी ताजा बानगी जिला पंचायत चुनाव के नवनिर्वाचित 13 निरक्षर सदस्यों के रूप में देखी जा सकती है।
कुल 49 सदस्यों में से एक चौथाई निरक्षर सदस्य जिले का कैसा विकास करेंगे, सोचा जा सकता है। हालांकि एक पीएचडी और छह परास्नातक भी जीतकर आए हैं।
शिक्षा को लेकर सरकारी योजनाओं का लक्ष्य पूरा करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए। हर योजना में कोशिश रही कि निरक्षर लोगों को साक्षर किया जाए। जिला पंचायत की 40 सीटों के घोषित नतीजों के मुताबिक नवनिर्वाचित 13 सदस्य निरक्षर है। निरक्षर सदस्यों की यह बड़ी संख्या स्वयं में हैरान करने वाली है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की धुरी कही जाने वाली जिला पंचायत 18 लाख से अधिक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करती है। सर्वाधिक 16 सीटें जीतकर बसपा सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई है। वहीं भाजपा ने भी 14 सीटें जीती हैं। कांग्रेस को आठ सपा को पांच, आजाद समाज पार्टी को दो, निर्दलीयों ने तीन तथा एक सीट भाकियू समर्थित ने जीती है। जिला पंचायत के नवनिर्वाचित सदस्यों में सर्वाधिक 13 सदस्य निरक्षर हैं, जबकि एक सदस्य पीएचडी भी है। प्राइमरी तक शिक्षित तीन सदस्य हैं जबकि जूनियर कक्षा तक शिक्षित चार सदस्य हैं। हाईस्कूल उत्तीर्ण पांच सदस्य तथा इंटर तक शिक्षित नौ सदस्य हैं। छह सदस्यों ने स्नातक किया है जबकि छह सदस्य ही परास्नातक यानि एमए उत्तीर्ण है। दो सदस्य ऐसे हैं जिनकी शैक्षिक योग्यता का कोई उल्लेख नहीं है। कुल निर्वाचित 49 सदस्यों में से एक चौथाई निरक्षर हैं। बता दें कि वर्ष-2011 की जनगणना के अनुसार जिले में साक्षरता दर 70.49 प्रतिशत है, इनमें पुरुष साक्षरता दर 78.28 तथा महिला साक्षरता दर 61.74 है।