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हिदी हम पर नाज करें, हम हिदी पर नाज करें

दिवस पखवाड़े के समापन पर साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था साहित्य समागम के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें स्थानीय कवि व शायरों ने सुंदर काव्य प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवा

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 06:23 AM (IST)
हिदी हम पर नाज करें,  हम हिदी पर नाज करें
हिदी हम पर नाज करें, हम हिदी पर नाज करें

सहारनपुर, जेएनएन। हिदी दिवस पखवाड़े के समापन पर साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था साहित्य समागम के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें स्थानीय कवि व शायरों ने सुंदर काव्य प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।

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संस्था की मोहल्ला लाल मस्जिद स्थित कार्यालय पर आयोजित हुई काव्य गोष्ठी की में वरिष्ठ कवि डा. शमीम देवंबदी ने कुछ यूं कहा, आओ मिलकर हिदी की ऐसी हम आवाज करें, हिदी हम पर नाज करें हम हिदी पर नाज करें। डा. मनीष गुप्ता ने पढ़ा, हिदी एकता प्यार की भाषा, हिदी है संस्कार की भाषा। डा. सादिक देवबंद ने अपने भाव यूं व्यक्त किए.. कहत गए विद्वान ये हिदी उर्दू भाषा एक, साहित्य की दोनों बहनें दोनों का संदेश एक। पुष्पेंद्र कुमार ने सुनाया 'हिदी देश के माथे की बिदी, सरल सुहानी भाषा हिदी। मुनीब अंसारी ने पढ़ा, सारी रस्मे अदा हो गईं, फिर साल भर के लिए हिदी विदा हो गई। इनके अलावा अब्दुल समी, चांद अंसारी, चौधरी मोहसिन, रमीज अंसारी ने भी अपना कलाम पेश किया। गोष्ठी का संचालन डा. सादिक अली ने किया। इस दौरान डा. एसए अजीज, मोहम्मद अजीम, मोहम्मद शफाकत, मा. मुमताज, तलहा, हसीन अहमद, यासिर, अमित, डा. फरमान, अयान, डा. दिलशाद, डा. उसामा, फैसल नूर, आदि मौजूद रहे।


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