गरीबों की सहायता कर आज भी स्व. अजित प्रसाद की यादों को रखा है संजोकर
छुटमलपुर में फतेहपुर का जैन आश्रम जंग ए आजादी के मतवालों की फौज तैयार करने के लिए जाना जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसी नामचीन शख्सियतों के आगमन से गुलजार होने का गौरव प्राप्त करने वाले इस आश्रम के संस्थापक स्व. अजित प्रसाद जैन ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश व समाज की सेवा की।
सहारनपुर, जेएनएन। छुटमलपुर में फतेहपुर का जैन आश्रम जंग ए आजादी के मतवालों की फौज तैयार करने के लिए जाना जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसी नामचीन शख्सियतों के आगमन से गुलजार होने का गौरव प्राप्त करने वाले इस आश्रम के संस्थापक स्व. अजित प्रसाद जैन ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश व समाज की सेवा की। दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत कर रहे उनके पौत्र आनंद जैन सेवानिधि ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों की सहायता कर आज भी उनकी यादों को संजोकर रखे हुए हैं।
जमींदारी का खात्मा हो या फिर पाकिस्तानी शरणार्थियों को बसाने को कालोनियों की स्थापना अथवा पुलिस को वायरलेस जैसे आधुनिक संसाधनों से लैस करने की बात हो यह सब कार्य स्व. अजित प्रसाद जैन के सेवाकाल की यादों में शुमार है। इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि छात्र जीवन से ही अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा बने अजित प्रसाद जैन ने आमजन में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत की भावना जाग्रत करने के उद्देश्य से ही फतेहपुर के जंगल में भूमि खरीद कर आश्रम की स्थापना की थी।
आगे चलकर इसी आश्रम में आजादी के मतवालों की एक बड़ी फौज तैयार हुई और यही आश्रम अंग्रेजों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों का गवाह भी बना। स्व. अजित प्रसाद व उनकी पत्नी स्व. लक्ष्मी देवी जैन को अंग्रेजों की मुखालफत के एवज जेल भी जाना पड़ा और गोरों की यातनाएं भी झेलनी पड़ी। जानकार बताते है कि आश्रम में पंडित जवाहरलाल नेहरु व उनके जैसी कई नामचीन हस्तियों का आगमन भी होता था। देश आजाद हुआ तो पं. जवाहरलाल नेहरु से मित्रता के चलते ही अजित प्रसाद को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी दी गई। केंद्र में खाद्य एवं पुनर्वास राज्यमंत्री बने तो उस समय उन्होंने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को बसाने के लिए कार्य किया और सहारनपुर में नुमाइश कैंप, बेरीबाग व छुटमलपुर में भी पंजाबी कालोनी की स्थापना कराई। जमींदारा खात्मा और काश्तकारों को मौरुसी हक दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। यूपी पुलिस कमीशन का चेयरमैन रहते उन्होंने थानों में वायरलैस सेट व जीप उपलब्ध कराने की सिफारिश की थी। वह केरल के गवर्नर भी रहे। उन्ही की याद में घाड़क्षेत्र के कालूवाला पहाड़ीपुर में इंटर कालेज भी संचालित है। स्वतंत्रता आंदोलन की यादों को संजोए रखने वाले जैन आश्रम फतेहपुर में प्रतिवर्ष तीन जनवरी को उनकी पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत करने वाले उनके पौत्र आनंद जैन सेवानिधि ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों को आर्थिक सहायता प्रदान करते है।