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लकड़ी के खिलौने बनाकर कविता चली स्वावलंबन की राह

अपने हुनर को प्रशिक्षण से निखारकर कविता देवी ने स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाए। स्वनिर्मित लकड़ी के खिलौने नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के मेलों में स्टाल लगाकर बिक्री कर रही हैं। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने अपने कामकाज को आगे बढ़ाया और अब कई महिलाएं समूह से जुड़कर खिलौने बनाने का काम कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 07:49 PM (IST)
लकड़ी के खिलौने बनाकर कविता चली स्वावलंबन की राह
लकड़ी के खिलौने बनाकर कविता चली स्वावलंबन की राह

सहारनपुर, जेएनएन। अपने हुनर को प्रशिक्षण से निखारकर कविता देवी ने स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाए। स्वनिर्मित लकड़ी के खिलौने नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के मेलों में स्टाल लगाकर बिक्री कर रही हैं। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने अपने कामकाज को आगे बढ़ाया और अब कई महिलाएं समूह से जुड़कर खिलौने बनाने का काम कर रही हैं।

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सहारनपुर का वुड कार्विंग का कारोबार विश्व प्रसिद्ध है। विकास खंड सरसावा के अंतर्गत गांव अलीपुरा की रहने वाले कविता देवी इंटरमीडियट उत्तीर्ण हैं। दिसंबर-2018 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर पंजाब नेशनल बैंक आरसेटी से 13 दिवसीय लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण से प्रेरणा प्राप्त कर गांव में समूह के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार के कान्हा जी के बेड, लकड़ी के आकर्षक खिलौने आदि का निर्माण कर रही हैं। इसी के साथ घर में ही एक कास्मेटिक शाप चला रही हैं। कविता बताती हैं कि इस काम से उन्हें मासिक 20 हजार की आमदनी हो जाती है।

प्रशिक्षण से लाभ

कविता देवी बताती हैं कि आरसेटी यानि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित 13 दिवसीय प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार के लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा उन्हें मिला। मार्केटिग, मार्केट सर्वे, संवाद कौशल, वित्तीय प्रबंधन और व्यवसाय प्रबंधन की जानकारी भी प्रशिक्षण के दौरान हासिल हुई। किसी भी व्यवसाय को आरंभ करने से पहले किस प्रकार काम शुरू करना चाहिए, यह सब जानकारी प्रशिक्षण के दौरान मिली।

आर्थिक सहयोग और ऋण प्राप्ति

स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद 1.10 लाख की सामुदायिक निवेश निधि मिली। प्रशिक्षण लेने के बाद भारतीय स्टेट बैंक शाखा पिलखनी से समूह का दो लाख का ऋण स्वीकृत हुआ, जिससे उन्होंने समूह में अपना कार्य बढ़ाया और विभिन्न प्रकार के आकर्षक खिलौने बनाकर नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के मेलों में स्टाल लगा रही हैं। इससे समूह और उनके परिवार को आर्थिक लाभ पहुंचा है। गांव की गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ने का काम किया और लगभग 20 से 25 बेरोजगार लोगों को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण के लिए भेजा है।

तैयार उत्पादों की बिक्री

पंजाब नेशनल बैंक आरसेटी और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन टीम के माध्यम से निर्मित उत्पाद की प्रदर्शनी लगाई जाती है और लगातार फालोअप लेकर मार्गदर्शन किया जाता है। निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए सहयोग भी किया जा रहा है। कविता ने अपने समूह के साथ बाजार में जाकर बाजार सर्वे कर अपने उत्पादों की मार्केटिग की और समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का निरंतर प्रयास कर रही हैं।


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