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Coronavirus: दारुल उलूम का फतवा, कोरोना टेस्ट से नहीं टूटेगा रोजा, नाक या मुंह से दे सकते हैं सैंपल

Coronavirus मुस्लिम समाज में रोजे के दौरान कोरोना टेस्ट कराने को लेकर शंकाएं थीं। दारुल उलूम देवबंद ने सोमवार को फतवा जारी कर इन शंकाओं का समाधान किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 07:41 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 08:04 AM (IST)
Coronavirus: दारुल उलूम का फतवा, कोरोना टेस्ट से नहीं टूटेगा रोजा, नाक या मुंह से दे सकते हैं सैंपल
Coronavirus: दारुल उलूम का फतवा, कोरोना टेस्ट से नहीं टूटेगा रोजा, नाक या मुंह से दे सकते हैं सैंपल

सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना संकट के बीच शुरू हुए माह-ए-रमजान में दारुल उलूम देवबंद ने अहम फतवा जारी किया है। फतवे में कहा है कि रोजे की हालत में कोरोना टेस्ट कराना जायज है। इस टेस्ट को कराने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। रमजान माह शुरू होने के बाद से मुस्लिम समाज के लोगों में रोजे के दौरान कोरोना टेस्ट कराने को लेकर कई तरह की शंकाएं थीं। दारुल उलूम देवबंद ने सोमवार को फतवा जारी कर इन शंकाओं का समाधान किया और कोरोना टेस्ट कराने को जायज ठहराया।

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तंजीम दावतो सिदक स्योहारा (बिजनौर) के संचालक अरशद अली के सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवे में कहा कि कोरोना टेस्ट के दौरान नाक या हलक (मुंह) में रुई लगी स्टिक डाली जाती है। उस स्टिक पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल नहीं लगा होता है। यह स्टिक नाक व मुंह में सिर्फ एक बार ही डाली जाती है। रुई पर नाक व हलक की जो रतूबत (गीला अंश) लगता है, उस सैंपल को ही मशीन के जरिए चेक किया जाता है। ऐसे में रोजे की हालत में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए नाक या हलक की रतूबत देना जायज है। इससे रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

घरों में ही रमजान की इबादत करने की अपील

बता दें कि रमजान से पहले देवबंद स्थित दारुल उलूम ने घरों में ही रहकर सारी इबादत करने की अपील की थी। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी ने कहा थी कि इस बार सब्र और रहमतों का महीना रमजान शरीफ कोरोना संकट काल में आ रहा है। मुसलमानों को और भी ज्यादा सब्र का परिचय देते हुए इस माह में सारी इबादत घर पर ही रहकर करनी होगी। नौमानी ने अपील की थी कि माहे रमजान में लॉकडाउन का पालन किया जाए। कोई भी ऐसा काम न किया जाए जो कि अपने या दूसरों के लिए परेशानी का सबब बने। कानून का उल्लंघन कर मस्जिदों में जाने की कोशिश न करें। प्रशासन की तरफ से मस्जिद में जितने लोगों की इजाजत हो, वह ही मस्जिद में तरावीह (रमजान की विशेष नमाज) अदा करें। बाकी सभी अपने घरों में नमाज व तरावीह पढ़ें।


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