शास्त्रीय संगीत की सुगंध अगरबत्ती के समान: सेठ
स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री किरण सेठ ने कहा कि हमें पूर्वजों द्वारा विरासत में अमूर्त ज्ञानक्षेत्र मिला है जो हमारे जीवन को पूर्ण और अधिक सार्थक बनाने में योगदान देता है।
सहारनपुर जेएनएन। स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री किरण सेठ ने कहा कि हमें पूर्वजों द्वारा विरासत में अमूर्त ज्ञानक्षेत्र मिला है, जो हमारे जीवन को पूर्ण और अधिक सार्थक बनाने में योगदान देता है। शास्त्रीय संगीत एक अगरबत्ती के सामान है, जिसकी सुगंध देर तक महसूस की जा सकती है।
सोमवार को दिल्ली रोड पाइनवुड स्कूल और जनता रोड स्थित आशा माडर्न इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री किरण सेठ ने छात्र-छात्राओं के मन को टटोलते हुए उनसे विचार साझा किए। उन्होंने कहा की पश्चिम ने हमें बाहरी मूर्त ज्ञान क्षेत्र में बहुत कुछ दिया है। सेल फोन, इंटरनेट, कार, प्लेन, एयर कंडीशनर आदि जिसकी वजह से दिन-प्रतिदिन का जीवन भौतिक जीवन में बहुत आसान हो गया है।
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड संगीत एक फुलझड़ी के समान है जो चकाचौंध से भरी होती है और शीघ्र ही बुझ जाती है। राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम वीणा बजाते थे और गणित में मैडल प्राप्त किया, इसलिए सभी को अपनी भारतीय कलाओं का महत्व समझना चाहिए। हमारे चारों ओर हो रहे वनों की कटाई को देखना बहुत आसान है, इसलिए हम पर्यावरण के प्रति तो सचेत हो रहे हैं लेकिन हम अपने आंतरिक अंधेपन को महसूस करने में सक्षम नहीं। हमारी सुंदर समग्र विरासत पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि एक युवा व्यक्ति कुछ दशक पहले की तुलना में बहुत अधिक जागरूक है। यह डार्विन की थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन और तकनीकी विकास के कारण हो सकता है। हालांकि जानकारी को ज्ञान में बदलने के लिए अधिक से अधिक समय की आवश्यकता होती है। ज्ञान के माध्यम से एक दिशा स्पष्ट हो जाती है। शास्त्रीय संगीत, नृत्य हमारी परंपरागत कलाएं इसे समझने में मददगार है। प्रधानाचार्य संजीव जैन, सीमा सिंह एवं निदेशक भव्य जैन ने किरण सेठ को पगड़ी पहना कर एवं शॉल देकर सम्मान प्रकट किया। कार्यक्रम में शैफाली मल्होत्रा, जय शर्मा, अनुराग सेठ, आस्था, पंकज मल्होत्रा उपस्थित थे।