आतंकवाद निरोधक दस्ते की जिले में फिर होगी दस्तक
बांग्लादेशी पिता-पुत्रों के पकड़े जाने के बाद एलआइयू और एटीएस दोनों ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। एसएसपी के निर्देश के बाद एलआइयू ने भी अवैध रूप से जिले में रह रहे बांग्लादेशियों को तलाशना शुरू कर दिया है। उधर एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने भी पकड़े गए आरोपित पिता-पुत्रों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर निकलवा ली है। एटीएस वाराणसी टीम को लीड कर रहे इंस्पेक्टर सुधीर उज्जवल अपनी टीम के साथ कभी भी जिले में आ सकते हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। बांग्लादेशी पिता-पुत्रों के पकड़े जाने के बाद एलआइयू और एटीएस दोनों ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। एसएसपी के निर्देश के बाद एलआइयू ने भी अवैध रूप से जिले में रह रहे बांग्लादेशियों को तलाशना शुरू कर दिया है। उधर, एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने भी पकड़े गए आरोपित पिता-पुत्रों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर निकलवा ली है। एटीएस वाराणसी टीम को लीड कर रहे इंस्पेक्टर सुधीर उज्जवल अपनी टीम के साथ कभी भी जिले में आ सकते हैं। सीडीआर से एटीएस को महत्वपूर्ण सुराग हासिल हुए हैं।
मंडी कोतवाली क्षेत्र की एकता कालोनी में दिलदार नाम के व्यक्ति के मकान में दो बांग्लादेशी रह रहे थे। वह अपने देश से भारत में अवैध रूप से लोगों को ला रहे थे। इसकी एवज में आरोपित पिता-पुत्र भारत आने वाले शख्स से पैसा वसूलते थे। खुद भी अवैध रूप से रह रहे थे। एटीएस की पूछताछ में आरोपितों ने अपने नाम मोहम्मद उस्मानी और तनवीर निवासी ईस्ट बोमानखिल थाना रामू जनपद कोस्क बाजार बांग्लादेश बताया था। बता दें कि तनवीर के पिता मोहम्मद उस्मानी हैं। यह दोनों लोग 1994 में भारत आए थे। पहले वह पश्चिम बंगाल में रहे और इसके बाद सहारनपुर में आ गए थे। एटीएस के सूत्रों ने बताया कि सीडीआर में सामने आया है कि आरोपित सहारनपुर में रह रहे कुछ लोगों से बात करते थे। जब उनकी आइडी निकलवाई गई तो उनके भी नंबर बांग्लादेश के हैं, जिससे साफ है कि जिले में और भी बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इस बार शहर की दो कालोनियां निशाने पर आ सकती हैं। एसएसपी डा. एस चन्नपा ने बताया कि एटीएस पूरे मामले की जांच कर रही है। अनुमान है कि एटीएस एक बार फिर जांच के लिए सहारनपुर में आ सकती है।
एलआइयू भी डाटा कर रही तैयार
एसएसपी डा. एस चन्नपा ने बांग्लादेशियों को पकड़ने के बाद जिले की एलआइयू को भी सक्रिय कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि कुछ बांग्लादेशियों का डाटा एलआइयू ने जुटाया है। हालांकि अभी यह जानकारी नहीं है कि यह वैध रूप से रह रहे थे या अवैध।
एटीएस खंगालेगी पिछले 15 साल में कितने बांग्लादेशियों के बने पासपोर्ट
जागरण संवाददाता, सहारनपुर : शहर की एकता कालोनी में पकड़े गए बांग्लादेशियों के तार अन्य बांग्लादेशियों से भी जुड़ रहे हैं। एटीएस की जांच में सामने आया है कि कई बांग्लादेशी फर्जी पासपोर्ट और वीजा पर जिले में रह रहे हैं। देवबंद की एटीएस को निर्देश मिले हैं कि वह गोपनीय रूप से जांच करे कि फर्जी रूप से पासपोर्ट और वीजा कहा पर बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि पिछले 15 सालों में कितने पासपोर्ट बने, किसके बने। यह भी रिकार्ड जुटाया जाए। लखनऊ से जारी हुए आदेश के बाद सोमवार से एटीएस की टीम ने देवबंद और अन्य कई कस्बों में अपना काम शुरू कर दिया है।
बता दें कि लगभग दो साल पहले एटीएस की टीम ने अब्दुलाह नाम के एक आतंकी को देवबंद से गिरफ्तार किया था। अब्दुलाह बांग्लादेश के एक आतंकी संगठन से जुड़ा था। जांच में पाया गया कि अब्दुलाह ने देवबंद से एक फर्जी पासपोर्ट और वीजा बनवाया हुआ था, जिसके बाद एटीएस की टीम ने पासपोर्ट बनाने वाले कई एजेंट और अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। हैरत की बात यह है कि अब्दुलाह ने जो पासपोर्ट बनवाया था। उसमें पता भी देवबंद का दिखाया था। अब फिर से बांग्लादेशी पकड़े जाने के बाद एटीएस सक्रिय हो गई है। एटीएस को शक है कि कई अन्य बांग्लादेशी फर्जी पासपोर्ट और वीजा के आधार पर सहारनपुर जिले में रह रहे हैं। इसलिए एटीएस स्थाई खुफिया एजेंसी की मदद से जांच करेगी कि पिछले 15 सालों में कितने और किसके पासपोर्ट बने। पुलिस सूत्रों के अनुसार, एटीएस ने देवबंद और सहारनपुर में बने कई जनसेवा केंद्रों को भी निशाने पर लिया है। अनुमान है कि इन जनसेवा केंद्रों पर भी फर्जी पासपोर्ट का धंधा चल रहा है।