Move to Jagran APP

उम्र हुई 76 पार, पढ़ाने का जनून बरकरार

सोमदत्त रोहिला जिन्हें इलाके में हर कोई गुरुजी कहता है इनकी उम्र 76 के पार हो चुकी है। पूरी उम्र राजकीय विद्यालय में बच्चों को पढ़ाया अब रिटायरमेंट के बाद पेंशनधारी हैं लेकिन पढ़ाने का जुनून अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 11:09 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 11:09 PM (IST)
उम्र हुई 76 पार, पढ़ाने का जनून बरकरार
उम्र हुई 76 पार, पढ़ाने का जनून बरकरार

सहारनपुर जेएनएन। सोमदत्त रोहिला, जिन्हें इलाके में हर कोई गुरुजी कहता है, इनकी उम्र 76 के पार हो चुकी है। पूरी उम्र राजकीय विद्यालय में बच्चों को पढ़ाया, अब रिटायरमेंट के बाद पेंशनधारी हैं, लेकिन पढ़ाने का जुनून अभी भी पूरा नहीं हुआ है। ज्ञान देने का अपना जुनून पूरा करने के लिये वह तीन परिषदीय विद्यालयों में निशुल्क पढ़ाने हैं। कोरोना के चलते स्कूल बंद हुये तो अपने गांव में ही बच्चों को गणित पढÞाने लगे। कोरोना महामारी के कारण क्लास नहीं चल पाती, इसलिये अलग अलग सभी को पढÞा रहे हैं। शिक्षक सोमदत्त रोहिला कहते हैं कि शिक्षण उनका पेशा नहीं बल्कि पूजा है।

prime article banner

गांव दूधला निवासी सोमदत्त रोहिला वर्ष 2006 में गांव जेहरा के जूनियर हाईस्कूल से सेवानिवृत्त हुए थे। नौकरी तो पूरी हो गई लेकिन सोमदत्त का जुनून पूरा नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने गांव मोहड़ा में स्कूल खोला, मगर संतुष्टि नहीं मिली। शिक्षण के प्रति समर्पण के कारण वर्ष-2009 में उन्होंने मोहड़ा के जूनियर हाईस्कूल में शिक्षण शुरू किया। इसके बाद 2014 से बीनपुर में और 2016 से इस्सोपुर के जूनियर हाईस्कूल में भी बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू कर दिया। लॉकडाउन से पहले वह तीनों स्कूल में दो-दो घंटे निश्शुल्क शिक्षण करते हैं। तीनों ही स्कूल तीन किमी के दायरे में हैं।

अंतिम सांस तक पढ़ाने की ख्वाहिश

सोमदत्त कहते हैं, वह पैसे के लिए नहीं पढ़ा रहे हैं। पेंशन से गुजारा हो जाता है। जूनियर हाईस्कूलों में अध्यापकों की कमी है। मेरी दिली इच्छा है कि निस्वार्थ भाव से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दूं। अंतिम सांस तक शिक्षण में लगा रहूंगा।

गणित में पारंगत हो रहे बच्चे

गांव इस्सोपुर के जूनियर हाईस्कूल के प्रधान अध्यापक गजेंद्र सिंह और बीनपुर की मिथलेश शर्मा का कहना है, कि उनके यहां गणित का कोई अध्यापक नहीं था, जिससे बच्चों को गणित में अच्छी शिक्षा नही मिल रही थी। सोमदत्त रोहिला के नियमित रूप से यहां शिक्षण कर रहे हैं, इससे बच्चे गणित में पारंगत हो रहे हैं।

मिलता है, असीम सुख

सोमदत्त का कहना है कि बेटा संजय दत्त रोहिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।और हैदराबाद में नौकरी करता है। एक पुत्री सुषमा रोहिला रामपुर मनिहारान में शिक्षक है। पत्नी बलबीरी रोहिला के निधन के बाद घर में अकेला रहता हूं। वह बच्चों को पढ़ाने में असीम सुख महसूस करते हैं।

ंइन्होंने कहा

सेवानिवृत्ति के बाद सोमदत्त द्वारा बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का कार्य अन्य अध्यापकों के लिए एक मिसाल है। ये दूसरे अध्यापकों के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। इन्हें जल्द सम्मानित कराया जाएगा।

-विनोद कुमार मेहरा, खंड शिक्षा अधिकारी गंगोह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.