अदालतें खुलते ही जमानत को लगी 57 अर्जियां
लॉकडाउन के दौरान करीब दो माह खुली अदालतों में पहले दिन भले ही मुकदमों की सुनवाई नहीं हुई।
जागरण संवाददाता, रामपुर : लॉकडाउन के दौरान करीब दो माह बाद खुली अदालतों में पहले दिन भले ही मुकदमों की सुनवाई नहीं हुई, लेकिन जमानत प्रार्थना पत्रों की 57 अर्जियां आईं। इन पर सुनवाई के लिए अदालतों ने अगली तारीखें दे दी हैं। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी जमानत अर्जियां ऑनलाइन दाखिल की गईं। हाईकोर्ट के आदेश पर कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जिले की अदालतें 21 मार्च से बंद कर दी गई थीं। शुक्रवार को हाईकोर्ट के आदेश पर अदालतें खुलीं तो उसके लिए जारी गाइडलाइन के मुताबिक कामकाज हुआ। न्यायिक अधिकारी, न्यायिक कर्मचारी और अधिवक्ता तो आए, लेकिन वादकारी नहीं पहुंचे।
दरअसल, शारीरिक दूरी का पालन कराने के मकसद से वादकारियों को अभी कोर्ट आने की अनुमति नहीं दी गई है। न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों और अधिवक्ताओं को कोरोना वायरस से बचाव के सभी इंतजाम किए गए। अदालतों को सैनिटाइज किया गया। कोर्ट के बाहर पैरा मेडिकल स्टाफ तैनात किया गया। यहां थर्मल स्क्रीनिग के बाद ही सभी को अंदर प्रवेश करने दिया गया। इसके अलावा सभी मॉस्क लगाकर आए। हाईकोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, सिर्फ अभी जमानत अर्जियां लगाने की ही छूट दी गई थी। अधिवक्ताओं को जमानत अर्जियां भी ऑनलाइन लगाने के निर्देश दिए गए। पहले दिन अधिवक्ताओं ने ऑनलाइन 57 जमानत प्रार्थना पत्र लगाए। कुछ अधिवक्ता इस व्यवस्था को लेकर परेशान भी दिखे तो कुछ ने समर्थन भी किया। अधिवक्ता नजर अब्बास का कहना था कि मौजूदा हालात में महामारी से बचाव के लिए यह सही तरीका है। उन्होंने खुद दो मुकदमों में ऑनलाइन जमानत प्रार्थना पत्र दिए हैं। उनके दोनों मुकदमे शाहबाद कोतवाली के हैं, जिसमें पुलिस ने उनके मुवक्किल को 10 मई को एनडीपीएस एक्ट में जेल भेजा है। उनके जमानत प्रार्थना पत्रों पर पहली जून को सुनवाई होगी।