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किसकी सरपरस्ती में चल रहा कच्ची शराब का धंधा?

जिले में कच्ची शराब का धंधा कोई नया नहीं है। कच्ची शराब का अवैध धंधा खूब फल फूल रहा है। जिले को कच्ची शराब की मंडी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अवैध धंधा इतने बड़े स्तर पर बिना संरक्षण के नहीं हो सकता। यह भी कटु सत्य है। आबकारी विभाग की

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 10:44 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:44 PM (IST)
किसकी सरपरस्ती में चल रहा कच्ची शराब का धंधा?
किसकी सरपरस्ती में चल रहा कच्ची शराब का धंधा?

रामपुर : जिले में कच्ची शराब का धंधा कोई नया नहीं है। कच्ची शराब का अवैध धंधा खूब फल फूल रहा है। जिले को कच्ची शराब की मंडी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अवैध धंधा इतने बड़े स्तर पर बिना संरक्षण के नहीं हो सकता। यह भी कटु सत्य है। आबकारी विभाग की दो साल की कार्रवाई के आंकड़े कच्ची शराब के धंधे की हकीकत बयान करने के लिए पर्याप्त हैं। पिछले दो साल में आबकारी विभाग ने एक लाख लीटर कच्ची शराब बरामद की है और इस धंधे को करने वालों के खिलाफ ढाई हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं। दो हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां की गई हैं।

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त्योहारों और चुनाव में चलते हैं अभियान

जिला आबकारी विभाग की ओर से वैसे तो समय-समय पर कच्ची शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं। इनमें ज्यादातर अभियान त्योहारों और चुनावों के दौरान चलते हैं। इसके अलावा कहीं जहरीली शराब पीने से मौत के मामले सामने आते हैं, तब भी विभाग अलर्ट हो जाता है। पिछले वर्ष की बात करें तो आबकारी विभाग की ओर से 3593 बार छापेमार कार्रवाई की गई। इन छापों में 43915 लीटर कच्ची शराब मिली। 1623 मुकदमे दर्ज हुए और 836 गिरफ्तारियां की गईं। पुलिस की भी है जिम्मेदारी

कच्ची शराब का अवैध धंधा रोकने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की भी है। जिले में 15 थाने हैं। ज्यादातर सभी थाना क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाई जाती है। इनमें सबसे ज्यादा कच्ची शराब बनाने का धंधा बिलासपुर, स्वार और मिलक खानम थाना क्षेत्रों में होता है। यहां पीपली का जंगल है, जहां नदी-नालों के किनारे कतार से भट्ठियां लगाकर लोग कच्ची शराब बनाते हैं। पुलिस को इसकी जानकारी भी होती है, लेकिन कई बार पुलिस का संरक्षण भी मिलता है। कानून कमजोर होने से बंद नहीं हो रहा धंधा

आबकारी अधिनियम के तहत अवैध शराब बनाने वालों को हाथों हाथ जमानत मिल जाती है, जिसके चलते लोग इस धंधे को नहीं छोड़ते। इस धंधे में कम लागत और मुनाफा ज्यादा होता है। यही वजह है कि लोग घरों में भी शराब बनाने लगे हैं। परिवार की महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं रहती हैं। यही वजह है कि दो साल पहले छापेमार कार्रवाई में 1224 गिरफ्तारी की गईं। हालांकि अब सरकार ने सख्ती कर दी है। जमानत के बजाय जेल भेजने का प्रावधान कर दिया है। इससे कच्ची शराब बनाने के मामलों में कमी आई है। पिछले साल छापेमार कार्रवाई में 836 लोग गिरफ्तार किए गए। दो वर्षों में आबकारी द्वारा की गई कार्रवाई के आंकड़े

वर्ष छापों की संख्या मुकदमे गिरफ्तारी जब्त की शराब

2017 3116 2348 1224 56885

2018 3593 1623 836 4315 डेढ़ माह में पकड़ी चार हजार लीटर शराब

रामपुर : जिला आबकारी अधिकारी अवधेश राम बताते हैं कि कच्ची शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। वर्ष 2019 में ही जनवरी से अब तक चार हजार लीटर कच्ची शराब पकड़ी जा चुकी है। करीब 200 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 27 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। अभियान के लिए आबकारी निरीक्षकों की चार टीमें बनाई गई हैं। सभी टीमें अपने-अपने क्षेत्रों में छापे मार रही है।


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