Terrorist attack on CRPF Group Center :फांसी की सजा मिलने के बाद शरीफ के गांव में सन्नाटा Rampur News
ग्रामीण बोले हमें पता ही नहीं था कि हमारे बीच आतंकी रह रहा है। पुलिस ने भी गांव का लिया जायजा बताया-बहाल है शांति व्यवस्था।
बिलासपुर (रामपुर)। सीआरपीएफ पर हुए आंतकी हमले में खजुरिया थाना क्षेत्र के बदनपुरी के शरीफ खां को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। सजा सुनाए जाने के बाद से उसके गांव में सन्नाटा है। गांव निवासी रईस अहमद, मुहम्मद बली खां ने बताया कि शरीफ आठ बहन-भाइयों में सबसे बड़ा है। इनमें चार भाई और तीन बहने हैं। सबसे बड़ा शरीफ खां है। उसके बाद शाहीन खां, नईम खां, फईम खां, नाजिम खां हैं। नईम खां बच्चों के साथ हल्द्वानी में रहता है। वहीं उसका सबसे छोटा भाई शिमला में टेलर है। गांव में शाहीन खां और फईम खां दोनों भाई मां जैबुल निशा के साथ रहते हैं। दोनों खेती-किसानी करते हैं। शरीफ की पत्नी लाडली बच्चों के साथ मायके आजमगढ़ में रहती है। पांच साल पहले उसके पिता अयूब खां की मौत हो गई थे। घटना के बाद उसके सास-ससुर की सदमे से मौत हो गई। उसके 13 वर्षीय दिव्यांग पुत्र आरिश की चार साल पहले मौत हो गई। उसका छोटा बेटा वारिश अपनी मां के साथ आजमगढ़ में रहता है।
शनिवार को शरीफ समेत छह आतंकवादियों को सजा सुनाए जाने के बाद से गांव की गलियां सुनसान पड़ी थीं। ग्रामीणों के अनुसार हमें पता नहीं था कि शरीफ आतंकवादी है। वे अन्य आतंकवादियों के संपर्क में आने के चलते इसमें फंस गया। वहीं दूसरी ओर पुलिस उच्चाधिकारियों के आदेश पर शुक्रवार की शाम को पुलिस क्षेत्राधिकारी जयराम पुलिस बल के साथ गए थे। उन्होंने गांव में निरीक्षण कर ग्रामीणों से वार्ता कर आवश्यक जानकारी हासिल की। सीओ के मुताबिक गांव में शांति व्यवस्था का माहौल व्याप्त है।
शरीफ खां का बहनोई गुलाब खां हुआ दोषमुक्त
खजुरिया थाना क्षेत्र के गांव आकिलपुर-बदनपुरी के ग्रामीणों के मुताबिक दोषमुक्त हुए गुलाब खां हमले में दोषी माने गए शरीफ खां का बहनोई है। जंग बहादुर उसका तहेरा भाई है। ग्रामीणों के अनुसार शरीफ की बहन नाजरा का निकाह गुलाब खान पुत्र शमशेर खान निवासी शाहगढ़, थाना बहेड़ी जनपद बरेली से हुआ था। बाबा जंग बहादुर गांव बदनपुरी निवासी आतंकवादी शरीफ खां का तहेरा भाई है। शरीफ खां और गुलाब खां दोनों सऊदी अरब जाने के दौरान बाबा जंग बहादुर के संपर्क में आए थे। इसके बाद 31 दिसंबर 2007 में सीआरपीएफ पर आतंकी हमला किया था।
कब-कब क्या हुआ
31 दिसंबर 2007 - सीआरपीएफ पर आधी रात के बाद आतंकियों ने हमला किया। हमले में सात जवान शहीद हो गए। एक रिक्शा चालक की जान गई।
01 जनवरी 2008 - सिविल लाइंस कोतवाली में दारोगा ओम प्रकाश शर्मा की ओर से अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
10 फरवरी 2008 - आतंकी हमले में पहली गिरफ्तारी फहीम और शरीफ की सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र में रोडवेज के पास से हुई।
12 फरवरी 2008 - आतंकी हमले में दूसरी गिरफ्तारी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से एटीएस ने की थी, जिसमें इमरान, फारुख और सबाउद्दीन पकड़े गए थे। बाकी आरोपितों को उनके घरों से पुलिस ने उठाया था।
आठ मई 2008 - आतंकी हमले के मुकदमे में चार्जशीट।
सात दिसंबर 2010 - कोर्ट ने पाक आतंकियों पर तय किए आरोप। बाकी पर पहले ही आरोप तय किए जा चुके थे। मुकदमे की सुनवाई शुरू।
19 अक्टूबर 2019 - मुकदमे में बहस पूरी होने पर फैसला सुरक्षित।
पहली नवंबर 2019 - अदालत ने छह को दोष सिद्ध और दो को दोषमुक्त किया।
दो नवंबर 2019 - अदालत ने चार आतंकियों को सुनाई फांसी की सजा। एक को उम्रकैद और एक को 10 साल कैद की सजा।