योगी जी, देखिए, रामपुर में एक भवन में चलते छह स्कूल
मुस्लेमीन, रामपुर: बेसिक शिक्षा की बदहाली की तस्वीर देखनी है तो रामपुर के प्राथमिक विद्यालय ि
मुस्लेमीन, रामपुर: बेसिक शिक्षा की बदहाली की तस्वीर देखनी है तो रामपुर के प्राथमिक विद्यालय किला चले आइए। यहां एक भवन में छह स्कूल चल रहे हैं। छोटे से एक कमरे में ही पूरा स्कूल चलता है। उसी में एक से कक्षा पांच तक के बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। मुख्यमंत्री को इन स्कूलों की बदहाली दूर करानी चाहिए।
बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। छात्रों को कोर्स, ड्रेस, भोजन मुहैया कराने के साथ ही वजीफा भी दे रही है, लेकिन शहरी क्षेत्र के स्कूल भवनों पर कोई ध्यान नहीं है। किराए के भवनों में चल रहे स्कूलों की इमारतें खंडहर होती जा रही हैं। रामपुर में ऐसे कई स्कूल हैं, जिनके भवन गिर चुके हैं और अब ये स्कूल दूसरे स्कूल भवनों में चल रहे हैं। किले के प्राथमिक विद्यालय में छोटे- छोटे छह कमरे हैं। यहां प्रत्येक कमरे में स्कूल चल रहा है। एक ही कमरे में पांच कक्षाएं चल रही हैं। किला प्राथमिक विद्यालय में आसपास के कटरा, पोस्ट आफिस, मकबरा, दोमहला रोड और सड़क खास विद्यालय भी चल रहे हैं। इनमें किला स्कूल में 35, सड़क खास स्कूल में 39, मकबरा स्कूल में 35, पोस्ट आफिस स्कूल में 36, कटरा स्कूल में 34 और दोमहला स्कूल में 28 बच्चे हैं। दोमहला और कटरा स्कूल में कोई शिक्षक नहीं है। इन दोनों स्कूलों को शिक्षा मित्र अंजुम चला रही हैं, जबकि सड़क खास स्कूल में प्रधानाध्यापक कलावती और शिक्षा मित्र सायमा तैनात हैं। अन्य विद्यालयों में एक शिक्षिका या एक शिक्षा मित्र ही है। किला स्कूल की शिक्षिका रुचि सक्सैना ने बताया कि यहां सभी स्कूलों के लिए केवल दो शौचालय हैं।
रामपुर नगर क्षेत्र में 115 स्कूल हैं, जिनमें 95 प्राइमरी और 20 जूनियर हाई स्कूल हैं। इनमें से 42 स्कूलों के ही सरकारी भवन हैं, जिनमें 60 स्कूल चल रहे हैं। एक दरअसल ये स्कूल किराए के भवनों में चल रहे थे। मकान जर्जर होते गए और मकान मालिकों ने मरम्मत नहीं कराई। खंडहर हो जाने पर पांच स्कूलों को किला स्कूल भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। दरअसल, विभाग ने स्कूल भवनों का किराया बहुत कम तय कर रखा है। मात्र दो-तीन सौ रुपये माहवार किराया है। इसीलिए भवन स्वामी भवन की मरम्मत नहीं कराते और खाली कराना चाहते हैं और भवन खस्ताहाल होते रहते हैं। चाह खजान खां, नालापार, बिलासपुर गेट, तीतर वाली पाखड़, बारादरी महमूद खां, चाह मोटे कल्लन, ठोठर बालिका, घेर सैफुद्दीन खां, घेर नज्जू खां आदि विद्यालय जर्जर हैं। शहर क्षेत्र में जगह नहीं मिलने के कारण स्कूलों के भवन नहीं बन सके हैं। सर्वशिक्षा अभियान का पैसा आता है, जो शहर क्षेत्र में खर्च नहीं हो पाता। इस पैसे से ग्रामीण क्षेत्र में ही नए स्कूल भवन बन पाते हैं।
एक स्कूल में होंगे विलय
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सर्वदानंद का कहना है कि शहरी क्षेत्र में किराए के भवनों में चल रहे स्कूल भवनों की हालत जर्जर है। विभाग स्कूल भवन बनाना चाहता है, लेकिन जगह नहीं मिलती। इसी कारण नए भवन नहीं बन सके। यदि शहर में जगह मिलती है तो नए भवन बनवाए जा सकते हैं। किले में एक भवन में जो छह स्कूल चल रहे हैं, अगले सत्र में उन सबका एक ही स्कूल में विलय कर दिया जाएगा। शासन के भी ऐसे आदेश हैं।