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सरकारी योजनाओं के आवास बनाने तक सीमित हुआ आरडीए

रामपुर रामपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की स्थापना को 17 साल बीत गए हैं। जब यह बना था तो शहर के लोगों में उम्मीद जगी थी कि आरडीए उन्हें कालोनियां बनाकर देगा और वे अपनी पसंद का घर खरीद सकेंगे लेकिन आरडीए आज तक लोगों का यह सपना पूरा नहीं का सका।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 May 2022 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 09 May 2022 11:55 PM (IST)
सरकारी योजनाओं के आवास बनाने तक सीमित हुआ आरडीए
सरकारी योजनाओं के आवास बनाने तक सीमित हुआ आरडीए

रामपुर : रामपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की स्थापना को 17 साल बीत गए हैं। जब यह बना था तो शहर के लोगों में उम्मीद जगी थी कि आरडीए उन्हें कालोनियां बनाकर देगा और वे अपनी पसंद का घर खरीद सकेंगे, लेकिन आरडीए आज तक लोगों का यह सपना पूरा नहीं का सका।

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घर बनाने के लिए जमीन की जरूरत पड़ती है और आरडीए अभी तक जमीन नहीं खरीद सका है। ऐसे में आरडीए अब सिर्फ नक्शा पास करने, नोटिस भेजने और सरकारी योजनाओं के आवास बनाने तक ही सीमित रह गया है।

आरडीए का गठन 15 अप्रैल 2005 में हुआ था। छोटे से शहर में इसकी स्थापना का मकसद था कि यहां आवासीय कालोनी का निर्माण हो सके और लोगों को आसान किस्तों में घर उपलब्ध हो सके। 17 साल बाद भी शहर के लोगों का यह सपना पूरा नहीं हो सका है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए प्रयास नहीं किए गए। शुरुआत में आरडीए ने कई जगह जमीन की तलाश की। एक बार तो गांधी समाधि के पास 17 एकड़ जमीन का चयन किया गया। कोसी नदी के पास होने के कारण यहां रिवर व्यू कालोनी बनाने का ख्वाब भी देखा गया, लेकिन यह साकार नहीं हो सका। इस जमीन पर अतिक्रमण था, जिसे आरडीए ने हटवाना शुरू किया। इस दौरान कुछ लोग कोर्ट चले गए और स्टे ले आए। इसके बाद रिवर व्यू कालोनी बनाने की योजना फाइलों में ही दबकर दम तोड़ गई। इसके अलावा कई जगह और भी जमीन देखी गई, लेकिन बात नहीं बनी। इस तरह कोशिश करते हुए 17 साल बीत गए और अब जिस तरह जमीनों की कीमत बढ़ी है, उससे आरडीए द्वारा जमीन खरीदकर कालोनी बनाना मुश्किल हो गया है। दरअसल, 17 साल पहले जमीन के दाम सस्ते थे। तब जमीन खरीदकर कालोनी बनाई जा सकती थी और लोगों को सस्ते दाम पर किश्तों में घर मिल जाते। अब भूमि खरीदकर कालोनी बनाने के लिए अरबों रुपये की जरूरत होगी और इतना बजट आरडीए को जुटाना मुश्किल होगा। ऋण आदि के जरिए बजट जुटाकर यदि कालोनी बना भी दी जाए तो उन घरों की कीमत इतनी अधिक होगी कि आम आदमी उसे नहीं ले सकेगा। ऐसे में आरडीए अब सरकारी योजनाओं के तहत बनने वाले सरकारी आवासों को बना रहा है। आरडीए सचिव हेम सिंह का कहना है कि सरकारी योजना के तहत कांशीराम आवास, आसरा आवास आदि प्राधिकरण के द्वारा ही बनाए गए हैं। भविष्य में भी आरडीए गरीबों के लिए सरकारी योजनाओं के तहत आवास बनाएगा। आरडीए बंद करने की थी तैयारी

वर्ष 2013 में सपा सरकार में आरडीए को बंद करने की तैयारी कर ली गई थी। तब शहर विधायक आजम खां सपा सरकार में मंत्री थे। उनके द्वारा कैबिनेट की बैठक में विकास कार्यो की समीक्षा की थी। तब आरडीए द्वारा एक भी आवास नहीं बनवाने और जमीन न होने की जानकारी पर नाराजगी जताई थी। आरडीए को बंद किए जाने के निर्देश दिए थे। इस पर कार्रवाई भी शुरू हुई। कमिश्नर की अध्यक्षता में दो बार बैठक हुई। आरडीए बंद किए जाने को लेकर प्रस्ताव पास हुआ, जिसे शासन को भेज दिया गया। हालांकि बाद में शासन ने इसे बंद नहीं किया। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया। वर्तमान में आरडीए का कार्यालय शानदार बन गया है, जो आवास विकास कालोनी में एसपी आवास के पीछे स्थित है।


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