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ओवरलोड ट्रैक्टर ट्राली बनती हैं हादसों का सबब

रामपुर हाईवे पर ओवरलोड दौड़ती ट्रैक्टर ट्रालियां सबसे ज्यादा हादसे का कारण बनती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:40 AM (IST)
ओवरलोड ट्रैक्टर ट्राली बनती हैं हादसों का सबब
ओवरलोड ट्रैक्टर ट्राली बनती हैं हादसों का सबब

रामपुर : हाईवे पर ओवरलोड दौड़ती ट्रैक्टर ट्रालियां सबसे ज्यादा हादसे का कारण बनती हैं। ये ट्रैक्टर ट्रालियां कभी रात के अंधेरे में गन्ना लेकर निकलती हैं तो कभी तड़के लकड़ियों को ऊपर तक लादकर दौड़ती हैं। सर्दियों में तो इनके कारण हादसे का खतरा और भी बढ़ जाता है। तीन माह पहले 20 अगस्त को श्रावस्ती से श्रमिकों को लेकर दिल्ली जा रही बस हाईवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसमें 17 सवारियां घायल हुई थीं। यह हादसा शहजादनगर थाना क्षेत्र में हुआ था। तब सुबह के चार बज रहे थे और अंधेरे में बस लकड़ी लदी ट्रैक्टर ट्राली में घुस गई थी। सर्दियों में घने कोहरे के चलते हाईवे का सफर सुरक्षित नहीं होता है।

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जिले की बात करें तो यहां नवंबर माह से चीनी मिलों में पेराई शुरू हो जाती है। इसके अलावा लकड़ी का बड़ा कारोबार है। गन्ना और लकड़ी लदी ट्रैक्टर ट्रालियां रात-दिन दौड़ती रहती हैं। ओवरलोड होने के चलते इन ट्रैक्टर ट्रालियों से हादसे का खतरा बढ़ जाता है। इनके कारण अक्सर हादसे होते हैं। इसके अलावा वाहनों के फिटनेस में खामी, नशा और रफ्तार, ओवरलोडेड वाहन, सड़क में खामी, सड़कों पर आधे-अधूरे निर्माण कार्य, खराब ट्रैफिक सिग्नल, सड़क पर गलत पार्किंग, सड़क पर खडे़ खराब वाहन, यातायात नियमों का उल्लंघन, इत्यादि भी हादसे की वजह बन जाते हैं। व्यवसायिक कार्य के लिए मात्र 22 ट्रैक्टर ही पंजीकृत

प्रभारी सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी अम्बरीश कुमार बताते हैं कि ट्रैक्टर के दो प्रकार के पंजीकरण किए जाते हैं। इनमें एक खेती कार्य के लिए और दूसरा व्यवसायिक कार्य के लिए पंजीकरण किया जाता है। जिले में व्यवसायिक कार्य के लिए पंजीकृत ट्रैक्टर की संख्या 22 ही है, जबकि खेती कार्य के लिए 16056 ट्रैक्टर पंजीकृत हैं। इनसे होने वाले हादसों को रोकने के लिए रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं। हादसे रोकने को ट्रैक्टर ट्रालियों में लगा रहे रिफ्लेक्टर

यातायात प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि ट्रालियों में पीछे इंडीकेटर नहीं लगा होता है। इससे अंधेरे में ये नजर नहीं आती हैं। इसके लिए यातायात माह में हमने ट्रैक्टर ट्रालियों व अन्य वाहनों में रिफ्लेक्टर लगाए हैं। करीब 80 ट्रैक्टर ट्रालियों में रिफ्लेक्टर लगाए जा चुके हैं।


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