मजदूरों का सहारा बना श्रम विभाग, कोरोना काल में बांट दिए 3.20 करोड़
रामपुर कोरोना काल में श्रम विभाग ने भी मजदूरों की खूब मदद की है।
रामपुर : कोरोना काल में श्रम विभाग ने भी मजदूरों की खूब मदद की है। जिले के 16 हजार मजदूरों को तीन करोड़ 20 लाख रुपये बांट दिए। इसके अलावा अन्य योजनाओं में भी मजबूर परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई।
कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों को झेलनी पड़ी है। रोजगार छिन जाने के कारण उन्हें परिवार पालना मुश्किल हो गया। लेकिन, सरकार ने मुसीबत के वक्त उनकी पूरी मदद की, जहां उन्हें मुफ्त में राशन दिया गया, वहीं उन्हें श्रम विभाग की ओर से आपदा योजना के तहत आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई। सहायक श्रमायुक्त नम्रता सिंह बताती हैं कि जिले में 16 हजार मजदूरों को दो-दो हजार रुपये दिए गए। इसके अलावा कई अन्य योजनाओं में भी उनकी सहायता की गई। पुत्री विवाह योजना के तहत 147 लोगों को कोरोना काल में ही लाभांवित किया गया है। मजदूर को बेटियों की शादी के लिए 55 हजार रुपये दिए जाते हैं। एक मजदूर को दो बेटियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाती है। मातृत्व शिशु एवं बालिका योजना के तहत भी मजदूरों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। प्रसव के समय मजदूर की पत्नी को पौष्टिक आहर के लिए छह हजार रुपये, जबकि बेटी पैदा होने पर पौष्टिक आहार के लिए 15 हजार और बेटा होने पर 12 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। मृत्यु एवं विकलांगता सहायता योजना के तहत भी मदद की जा रही है। इस योजना में कार्य के दौरान मौत होने पर पांच लाख रुपये और विकलांगता होने पर तीन लाख रुपये दिए जाते हैं, जबकि सामान्य स्थिति में मौत होने पर दो लाख रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए श्रमिक का विभाग में पंजीकरण होना जरूरी है। जिले में 59 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं। पंजीकरण भी फ्री में किया जा रहा है। लेकिन, ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ दलाल सक्रिय हैं, जो मजदूरों से रुपये ऐठ रहे हैं। इस संबंध में वह कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को भी लिखेंगी। मजदूरों से रुपये ऐठने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और जेल भिजवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोई भी मजदूर पंजीकरण के नाम पर एक भी रुपया न दे। अगर कोई उनसे रुपया मांगता है तो तत्काल उसकी उनसे शिकायत करें। श्रम विभाग का कार्यालय भवन बदहाल
श्रम विभाग भले ही मजदूर की पूरे दमखम से मदद कर रहा है। लेकिन, उसका अपना कार्यालय बदहाल है। इमारत पुरानी होने के कारण जर्जर हालत में पहुंच गई है। बारिश में टपकती है, सीलन रहती है। इससे अभिलेखों के रख-रखाव में दिक्कत आ रही है। कार्यालय के बाहर झाड़ियां उगी हैं। हालांकि नई इमारत बनाने के लिए प्रस्ताव जा चुका है, लेकिन अभी तक मंजूर नहीं हो सका है।